प्रांतीय वॉच

हुनरमंद हाथ अपने बलबूते शानदार मेकैनिज्म के साथ स्टार्टअप के बादशाह गुदड़ी के लाल हैं: संतोष साहू

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महेन्द सिंह/नवापारा राजिम/रायपुर: सच ही कहा गया है प्रतिभा उम्र समय काल की मोहताज नहीं होती स्थितियां परिस्थितियां कैसी भी हो लेकिन प्रतिभा अपने आप उभर आती है अफसोस संसाधन की कमी और किसी भी तरह का प्रोत्साहन या सहायता ना मिलने पर ऐसी प्रतिभा सिमट कर रह जाती है जी हां मैं बात कर रहा हूं आरंग के पास जरोद ( क) निवासी 72 वर्षीय खोरबाहरा राम साहू एवं इनकी धर्मपत्नी श्रीमती शाम बाईं के छोटे पुत्र संतोष साहू जो कि बचपन में अभाव के कारण दसवीं के आगे पढ़ाई नहीं कर पाए। इनकेपिता पूरे अंचल में अपने अनेक प्रकार की मिठाइया और नमकीन बनाने के काफी बड़े एक्सपर्ट माने जाते हैं। इनके साथ अभाव के दिनों में मजबूरी में गांव हाट बाजार मेले में मिठाई और नमकीन बेचने जाते थे तो आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए।

लाउडस्पीकर माइक सेट ने दुनिया बदल दी- मेकैनिज्म और स्टार्टअप के जादूगर संतोष साहू ने छत्तीसगढ़ वाज ब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर से एक भेंट में बताया दिन अभाव में गुजर रहे थे पढ़ाई छूट चुकी थी तभी ख्याल आया गांव गांव में उस समय माइक सेट जिसमें पोगा में गाने बजा करते थे शादी ब्याह छठी वगैरह में तो बेहतर कमाई के दृष्टिकोण से पूरा सेट खरीदा और सावधानी से खोलकर खाली समय में उस का मुआयना करते थे बिगड़ने पर उसको बनाना भी चालू किया ताकि पैसे बचे जुनूनी इतने जब तक उसको सुधार नहीं लेते थे चैन से नहीं बैठे थे चाहे कितना भी समय हो जाए या दिन लग जाएं इसका परिणाम यह हुआ कि इतने बड़े मैकेनिक बन गए कि अच्छे-अच्छे लोग इनकी प्रतिभा देखकर कायल हो गए, एंपलीफायर से लेकर बड़े-बड़े साउंड बॉक्स ऐसे बनाने लगे सुधार करने लगे जैसे किसी बहुत बड़े इंस्टिट्यूट में इन्होंने खास ट्रेनिंग ली हो इसके साथ सबसे बड़ा हुनर यह आया कि इन पोंगा और म्यूजिक बॉक्स में लगा हुआ मैग्नेट खिसक जाए यह टूट जाए उसको भी यह बना डालते हैं बाकी कोई नहीं बना पाता नया सेट ही लेना पड़ता है आज छोटे से गांव में रहते हुए भी इन सब सुधारों के ब्रांड नेम बन गए।

साधारण बैटरी से डीसी को एसी में बदल वेल्डिंग मशीन का आविष्कार किया- एक्सपर्ट संतोष साहू ने छत्तीसगढ़ वाच ब्यूरो प्रमुख को अपनी एक ऐसी वेल्डिंग मशीन दिखाई जोकि बिजली न रहने पर बैटरी से आसानी से काम करती है और इसमें उन्होंने बताया बैटरी के एंपियर को मेंटेन करना पड़ता है जिसमें फिल्टर कंडेशनर का सपोर्ट रहता है वह भी सिंगल बैटरी से जहां बिजली नहीं है और इसमें खर्चा भी कम आता है। आज के दौर में यह कितना उपयोगी है हर कोई समझ सकता है जिसमें बिजली बचत के साथ इसके खतरे से भी बचाव है,।

जुगाड़ से नई बैटरी भी बनाने तक पहुंचे- संतोष साहू अपनी सोच के बल पर यह सब करते हुए अपने पास के जुगाड़ से बड़ी बैटरी बनाने तक पहुंच गए थे लेकिन किसी असावधानी के कारण उसका केमिकल उछल कर उनके चेहरे पर पड़ गया और उन्होंने भय वश काम रोक दिया। इनके पास रायपुर धमतरी दुर्ग राजनांदगांव भिलाई महासमुंद बिलासपुर तक के माइक म्यूजिक सेट बनने के लिए आते हैं और यह पूरी तन्मयता से इस कार्य को करते हैं। दूसरी जगह से इनका चार्ज भी काफी कम है इसलिए कभी भी फुर्सत में नहीं रहते उन्होंने बताया लॉकडाउन में बहुत नुकसान हुआ नहीं तो केवल मैकेनिक के तौर पर मंथली 50 हजार से साठ हजार रुपए की कमाई हो जाती थी।

बेटा भी मैकेनिक- संतोष साहू के इकलौते पुत्र नवीन कुमार उम्र 11 वर्ष जो छठवीं के छात्र हैं वह भी पिता के साथ पूरा हाथ बढ़ाते हैं और आगे चलकर पिता से भी बड़ा मैकेनिक बनना चाहते हैं, छत्तीसगढ़ वाच प्रमुख महेंद्र सिंहठाकुर ने यह जानकारी कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा को बताई तो उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए संतोष साहू को बधाई दी। संतोष साहू का जुनून और इनकी मेहनत युवा लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है अभाव में भी हम अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

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