- राज्य सरकार का रोका छेका अभियान महज कागजी
कमलेश रजक/ अर्जुनी: छत्तीसगढ़ शासन ने गोधन न्याय योजना के तहत 1 वर्ष पूर्व जब रोका छेका अभियान शुरू किया तो बड़े जोर-शोर से इस योजना के प्रचार-प्रसार में लोखों रूपये खर्च किए गये । सरकार ने इसे शुरू करने से पहले अनगिनत फायदे बताये थे, जो अब फ्लाप साबित होते दिख रहे है। ऐसा ही एक नजारा ग्राम पंचायत में दिख रहा है। यहाँ रोका-छेका अभियान पूरी तरह फ्लाप दिख रहा है। गाव के प्रमुख चौक-चौराहों, सहित सभी जगह पर आवारा मवेशी खुलेआम घुम रहे है और लोग इससे दुर्घटना का कारण बन रहे है। वही ग्रामीण अंचल में हालात यह है कि गौठान सुनसान पड़े है और पशु पालक अपने जानवरों को खुले में चरने के लिए भेज रहे है। क्षेत्र में कई स्थानों पर लाखों रूपये खर्चकर गौठान बनाए गए है लेकिन इन गौठानों में न तो चारा की व्यवस्था है और न ही मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था है। सड़क दुर्घटना में मवेशी दुर्घटना के शिकार हो जाते है।
उलेखनीय हैं कि कांग्रेस सरकार की रोका छेका योजना को सफल बनाने में ग्राम पंचायत रुचि लेते नहीं दिख रही है। कांग्रेस सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना भी फ्लाप साबित होते दिख रही है। रवान में आज भी मुख्य मार्ग पर मवेशी सड़कों पर डेरा डाले हुए है। कुकूरदी बाई पास के मेन रोड के पास मवेशी एक सीध रोड़ को घेरकर खड़े हुए दिखाई दिए। इससे कभी भी दुर्घटना घट सकती है, और कहीं-कहीं पर मवेशी दुर्घटना के शिकार भी हो रहे है। यह मवेशी कुकुरदी भरसेली के मुख्य चौराहों पर अपना कब्जा जमाए हुए बैठे रहते है। इन मवेशियों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। वही दूसरी ओर गांव-गांव में सरकार द्वारा गौठान बनाए गए है, किन्तु अधिकतर ग्राम पंचायतों में मवेशियों को रोका नहीं जा रहा है। जिन गांवों में गौठन बन भी गए है, वहाँ चारा एवं पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है तथा चरवाहे की नियुक्ति भी नहीं की गई है। इससे भी समस्या बनी हुई है।
मवेशी मालिक गाय बैल भैंस को खुला छोड़ दिए है, जिससे किसानों की खेती को नुकसान पहुंचा रहे है। ग्रामीण अंचल में खेतों में धान बोवाई का काम चल रहा है। धान भी अंकुरित होकर निकल रहे है, ऐसे में मवेशियों को खुला छोड़ देने से धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहे है। किसान मवेशियों को अपने-अपने खेतो से हटाते हटाते परेशान हो गए हैं।