■ अक्षरा बुक डिपो से टाई-अप कर बुक लेने भी वही भेजा जाता है अक्षरा बुक डिपो के अलावा शहर के किसी बुक डिपो में नहीं मिलती सेंट माइकल की बुक…!!
■ सेंट माइकल स्कूल प्रशासन की मनमानियां काँकेर की जनता त्रस्त…स्कूल है या दुकानदारी….?
■ कोरोना काल के इस महामारी के चलते सेंट माइकल स्कूल वाले कर रहे हैं अपनी मनमानी…!!
■ कुछ वर्षों से यहां सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है किंतु उस स्टैंडर्ड के शिक्षक भर्ती नहीं किए गए हैं.!!
अक्कू रिजवी/कांकेर : कांकेर शहर का सेंट माइकल हाई स्कूल आज से कुछ वर्षों पूर्व तक जिले का सर्वश्रेष्ठ स्कूल माना जाता था जिसके रिज़ल्ट्स भी सबसे अच्छे हुआ करते थे और वहां से पढ़कर निकलने वाले तरक्की करते हुए अपना भविष्य बनाने में सफल रहते थे। उस जमाने के पढ़े हुए छात्र आज बड़े-बड़े पदों पर हैं लेकिन आज इसी स्कूल का नाम बदनामी का पर्याय बन चुका है और अभी से उसे कांकेर जिले के सबसे घटिया स्कूल का टाइटल मिल चुका है। वर्तमान में इस स्कूल को दुकानदारी कहा जाए तो ज्यादा उचित होगा। क्योंकि एक तो यहां के प्रशासन ने अनाप-शनाप फीस बढ़ा रखी है और फीस बकाया रहने पर मार्कशीट रोक देते हैं और मनमानी फीस वसूल करने के बाद ही देते हैं। दूसरी बड़ी शिकायत है कि कुछ वर्षों से यहां सीबीएसई पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है किंतु उस स्टैंडर्ड के शिक्षक भर्ती नहीं किए गए हैं , जैसे करने चाहिए। वर्तमान में जो शिक्षक शिक्षिकाएं हैं , उनमें सीबीएसई जैसे पाठ्यक्रम पढ़े हुए शायद ही कोई हों । घटिया स्तर के स्कूलों में पढ़े हुए टीचर से आशा नहीं की जा सकती कि वे सीबीएसई स्टैंडर्ड से पढ़ाएंगे। इनमें अधिकतर केरल से हैं जिनका हिंदी ज्ञान शून्य है। वे ना छात्रों की बात समझ पाते हैं न छात्र उनकी बातें समझ पाते हैं । इसके अलावा तीसरी बड़ी शिकायत यह है कि स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों को एक विशेष दुकान से ही किताबें तथा स्टेशनरी लेने को मजबूर किया जाता है। निश्चित रूप से इस दुकानदार की सांठगांठ स्कूल प्रशासन से है तभी स्कूल के अधिकतर स्टाॅफ इस दुकान में आते जाते बैठते भी दिखाई देते हैं और छात्रों द्वारा किसी अन्य दुकान से किताब या स्टेशनरी लेने पर बुरी तरह भड़क उठते हैं। इस संबंध में प्राचार्य से पूछने पर वे कहते हैं कि स्कूल के पास स्थित इस किताब दुकान से हमारा कोई टाई अप नहीं है जबकि अंधे को भी दिख रहा है कि स्कूल प्रशासन के लोग तथा टीचर भी इस सांठगांठ वाली दुकान में आते-जाते उठते बैठते हैं। इस तरह कमीशन खोरी और दुकानदारी का धंधा चल रहा है। वर्तमान स्कूल प्रशासन के कारण एक ज़माने का मशहूर हाई स्कूल सेंट माइकल स्कूल आज बुरी तरह बदनाम हो चुका है।
इनका कहना है
शिवसेना प्रदेश महासचिव चंद्रमौली मिश्रा का कहना है इस भयंकर कोरोना कॉल महामारी के चलते ऐसे समय में प्राइवेट स्कूलों को ऐसा नहीं करना चाहिए । जल्द से जल्द अगर सेंट माइकल स्कूल ने अपना रवैया नहीं बदला , ट्यूशन फीस कम नहीं किया और उस अक्षरा बुक डिपो के साथ टाई-अप ख़त्म नहीं किया तो शिवसेना प्रदेश महासचिव चंद्रमौली मिश्रा अपने शिवसेना कार्यकर्ताओं के साथ स्कूल के सामने उग्र आंदोलन करेगा । शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी कोताही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी…!!!