महेन्द सिंह/पांडुका/नवापारा राजिम/रायपुर : भारतीय संस्कृति में हम लोग केवल देवी देवता की ही पूजा नहीं करते अपितु हमारे आसपास जल थल नभ पेड़ पौधे, पालतू पशु,जंगली पशु ,सर्प चर अचर सब की महत्ता होने की वजह से अनादि काल से पूज्यनीय रहे इन सब को हमको धारण करने वाली हमारी धरती मां, सबको अलंकृत महिमामंडित करना हमारी प्राचीन परंपरा रही। उक्त बातें सर्व क्षत्रिय महासभा और इंटक मजदूर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह बैस ने छत्तीसगढ़ वाचब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर से कहीं बात पर्यावरण पर हो रही थी और उन्होंने आगे कहा दिनांक 5 जून प्रतिवर्ष पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है । निश्चित तौर पर यह दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है पर्यावरण असंतुलन की भयावहता सर्वविदित भयंकर बाढ़ सूखा भीषण गर्मी या भयानक ठंड हो सब में पर्यावरण असंतुलन का निश्चित तौर पर हाथ रहता है, इसमें पूरे विश्व के देशों के द्वारा गंभीर चिंतन किया जाता है लेकिन सबसे ज्यादा आवश्यक है हम इस ओर सचेत हो और अपनी और आने वाली पीढ़ी की जिंदगी बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जाएं कार्बन उत्सर्जन के जितने ठिकाने हैं उन्हें कैसे कम किया जाए या बंद किया जाए यह बहुत आवश्यक है एक छोटा सा उदाहरण हमारे घर का फ्रिज, एसी ,रूम एयर फ्रेशनर, है हम भौतिक सुख सुविधा से अपने को कुछ समय के लिए खुश और संतुष्ट रख सकते हैं लेकिन दूरगामी परिणाम बहुत भयानक निकलता है, तो उपयोग हम बंद नहीं कर सकते तो इसका सीधा सा रास्ता है ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जिसमें बरगद, पीपल ,नीम ,आम जामुन, तुलसी, आंवला, अर्जुन, महुआ जैसे अनेक पेड़ हैं जो अपनी पूरी जिंदगी में हमें करोड़ों नहीं अरबों रुपए का तो मात्र ऑक्सीजन देते हैं, औषधि गुण सभी पेड़ों में है ऑक्सीजन और औषधि की बात आई तो पहले की बात छोड़ दें वर्तमान में करोना कॉल ऑक्सीजन की मारामारी से पूरा देश दहल उठा था और राहत और खुशी की बात यह थी जिन्होंने औषधि गुण वाले जड़ी बूटी और आंवला चूर्ण तुलसी का काढ़ा पिया या पहले से पीते रहे उनसे करोना कोसों दूर रहा,पेड़ पौधों के हम आजीवन ऋणी है।
पर्यावरण की सुरक्षा, मानव जीवन के साथपूरे ब्रह्मांड की सुरक्षा : राकेश सिंह बैस

