प्रांतीय वॉच

आरसीसी पोल का निर्माण कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं महिलाएं

Share this
  • 12 हजार 602 पोल का निर्माण कर 6 हजार 230 पोल की हुई आपूर्ति, गौठानों के फेंसिंग में होगा उपयोग
  • प्रशासन के अवसर देने से महिलाओं का बढ़ा आत्मविश्वास, काम के लिए आगे आ रही हैं महिलाएं

आफताब आलम/बलरामपुर : रूढ़ियां इच्छा और अकांक्षाओं का दमन करती है और जब बात महिलाओं के आगे बढ़कर काम करने की हो तो यह और अधिक प्रभावित करती है। लेकिन चुनौतियों के हर दौर में महिलाओं ने न केवल खुद को साबित किया है बल्कि हर क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन के साथ कार्य करते हुए सफलता पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो महिलाओं की बड़ी आबादी काम करना चाहती हैं लेकिन अवसरों की कमी उनके कदम आगे नहीं बढ़ने देते और आर्थिक रूप से सक्षम बन खुद को सबित करने की उनकी चाहत अधूरी रह जाती है। लेकिन बलरामपुर के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह की महिलाएं परंपरागत बंधनों को तोड़ आर्थिक रूप से सक्षम होकर सफलता की नई सीढ़ी चढ़ने को तैयार हैं। जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबद्धता के साथ ग्रामीण महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़कर आर्थिक संबल प्रदान करने के हर संभव प्रयास कर रही है। इसीक्रम में स्व सहायता समूह की महिलाएं अब गौठान व बाड़ी के घेराव के लिए आरसीसी पोल का निर्माण कर रही हैं। जिले में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तूलिका प्रजापति ने प्रशासनिक कार्यों में गति देने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए गैर कृषि गतिविधियों में बिहान की महिलाओं की भूमिका तय करने हेतु एनआरएलएम के जिला आधिकारियों को निर्देश दिए हैं। महिलाओं के द्वारा जिले के समस्त विकासखण्डों में एक-एक आरसीसी पोल निर्माण इकाई शुरू की गई है। लॉकडाउन में उत्पादन की कार्ययोजना तैयार की गयी तथा अनलॉक होते ही पोल का निर्माण कार्य प्रारंभ कर आपूर्ति की जा रही है। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अब तक 12 हजार 602 पोल का निर्माण कर 6 हजार 230 पोल की आपूर्ति गौठानों में फेंसिंग के लिए कर दी है। आरसीसी पोल को 240 रूपये प्रति नग की दर से विक्रय किया जा रहा है। ये गतिविधियां वर्षभर सुचारू रूप से जारी रहे इसके लिए कलेक्टर श्री श्याम धावड़े के निर्देशानुसार विभिन्न विभागों जिनके द्वारा फेंसिंग पोल का क्रय किया जाता है वे इन इकाइयों से ही पोल क्रय कर सकेंगे। पोल निर्माण कर रही स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें अवसर देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है और महिलाएं भी काम के लिए आगे आ रही हैं। एक ओर जहां महिलाओं को मनरेगा में श्रममूलक कार्यों द्वारा रोजगार दिया जा रहा है, वहीं उन्ही महिलाओं के द्वारा मटेरियल तैयार करवा कर गांव से ही मांग के अनुरूप आपूर्ति की जा रही है। कन्वर्जेंस मॉडल ही इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मददगार साबित होगी। पोल निर्माण से जुड़ी एक और महिला समूह के सदस्यों ने बताया कि ये तैयार आरसीसी पोल आम बाजार के लिए उपलब्ध है और साथ ही साथ मांग के हिसाब से तैयार की जा सकती है। काम करने की महिलाओं की इच्छा शक्ति ने उन्हें सफलता की ओर अग्रसर किया है। जिस सामग्री की जरूरत जिले को है महिलाएं स्थानीय संसाधनों के आधार पर उनका उत्पादन कर आपूर्ति कर रही हैं।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *