- नजदीकी आंगनबाड़ी 6 किमी दूर पूरक पोषण आहार एवं प्रारंभिक शिक्षा से है वंचित
पुलस्त शर्मा/मैनपुर: शहर एवं कस्बे मे शासन प्रशासन की मूलभूत सुविधाएं बराबर मात्रा में पहुंचती होगी लेकिन सरकार कितने भी दावे कर ले बीहड़ अंचलों के अंतिम पंक्ति में रहने वाले लोगों के लिए हर संभव मूलभूत सुविधाओ सहित योजनाएं संचालित करने का लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है आज भी बीहड़ अंचलों में रहने वाले रहवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहते हुए अपने ही हाल में जीने को मजबूर है जिनका सुनने वाला और उनके दर्द को समझने वाला कोई भी जिम्मेदार नहीं दिखता और खामियाजा भुगतने विवश है।
विकासखंड मुख्यालय मैनपुर के ग्राम पंचायत गोना के आश्रित ग्राम रक्शापथरा जहां तक पहुंचने के लिए उबर खाबड़ पगडंडी रास्ते से होकर वहां के ग्रामीण आवाजाही करते हैं जहां के मकान संख्या 37 जनसंख्या लगभग 260 के आसपास है यहां के आंगनबाड़ी में पढ़ने लायक छोटे-छोटे बच्चों नवनिहालों को बीते कई वर्षों से प्रारंभिक शिक्षा, पूरक पोषण आहार कुपोषित बच्चों के जांच सहित तमाम महिला बाल विकास से मिलने वाली योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है इसका मुख्य वजह रक्शापथरा गांव में आंगनबाड़ी केंद्र का नहीं होना है। इस गांव से आंगनबाड़ी केंद्र जहाँ स्थापित है। उसकी दूरी लगभग 6 किलोमीटर गोना नयापारा होने से छोटे-छोटे बच्चे एवं उनकी माताएं वहाँ तक नहीं पहुंच पाती है। विगत 4 वर्ष पूर्व गोना नयापारा आंगनबाड़ी केंद्र के कार्यकर्ता के द्वारा वहां की जानकारी सहित पूरक पोषण आहार की व्यवस्था किया जा रहा था लेकिन आज की स्थिति में महिला बाल विकास विभाग से संबंधित उस गांव के कोई भी रिकॉर्ड संधारित नहीं होने लगा है गोना नयापारा के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कुमारी सीमा ने जानकारी देते हुए बताया कि रक्शापथरा गांव में 3 से साढे 5 वर्ष के 25 बच्चे एवं 0 से ढाई वर्ष के 15 बच्चे पुराने रिकॉर्ड के अनुसार है वर्तमान में संख्या बढ़ गई होगी जिन्हें किसी भी तरह के आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल रही है। ग्राम रक्शापथरा में आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित हो एवं वहां के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र से सुविधाएं मिले इसके लिए कई बार ग्राम पंचायत गोना के सरपंच सुनील कुमार मरकाम ने संबंधित विभाग को आवेदन निवेदन करते हुए आंगनबाड़ी केंद्र खोलने के लिए ज्ञापन भी दिया गया था। बकायदा महिला बाल विकास विभाग की ओर से सर्वे सूची तो मंगाई जाती है लेकिन आज तक आंगनबाड़ी नहीं खुल पाना बीहड़ अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों के साथ में शासन प्रशासन का सौतेला व्यवहार जैसा लगता है। बच्चों के संख्या के आधार पर तत्काल मिनी आंगनबाड़ी केंद्र खुल सकता है विगत 4 वर्षों से रक्शापथरा गाँव के आंगनबाड़ी में पढ़ने लायक बच्चों को पूरक पोषण आहार एवं प्रारंभिक शिक्षा से वंचित किया गया है इसका जिम्मेदार संबंधित विभाग को जाता है। आंगनबाड़ी में पढ़ने लायक बच्चों के भविष्य को देखते हुए उनके उज्जवल भविष्य की परिकल्पना के वास्ते ग्राम रक्शापथरा के ग्राम पटेल प्रताप सिंह नेताम, जनार्दन नेताम, दिलीप नेताम, महेश कुमार नेताम, कमलेश मंडावी, तिलक राम नेताम, श्री राम मरकाम, नवल सिंह मरकाम, रुपेश मरकाम, लक्ष्मीनाथ मरकाम, इतवारू राम नेताम, शोभी राम नेताम, मंगलू राम मरकाम, मानकी बाई नेताम, मानो बाई मरकाम, जान बत्ती मरकाम, कमितला नेताम, राधा बाई मरकाम, हीराबती मरकाम, सगा बाई मरकाम, सुकोबाई नेताम ने जिला के कलेक्टर, जिला कार्यक्रम अधिकारी से गांव में आंगनबाड़ी केंद्र खोलने के लिए सहृदय मांग किया है।
इस संबंध में क्या कहते हैं अधिकारी –
इस संबंध मे जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती जगरानी एक्का ने बताया कि रक्सापथरा ग्राम के नवनिहाल बच्चो को नजदीकी आंगनबाड़ी केन्द्र से रेडी टू ईट पहुंचाया जा रहा है उनके द्वारा ग्राम रक्सापथरा मे आंगनबाड़ी खोलने प्रस्ताव मे लेने की बात कही है ताकि गांव में आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित हो सके।