* जनहित में उक्त घटनाक्रम की जांच होनी चाहिए
(सुकमा ब्यूरो ) बाल कृष्ण मिश्रा | विवाद और सुकमा रेंजर दोनों ही पर्याय बन गए हैं ।वन विभाग के इस रेंजर पर शासन/प्रशासन का मौन होना ही इनकी ऊंची पकड़ साबित कर देता है ।फिलहाल गीदम क्षेत्र में बनाये गए स्टॉप डैम के बह जाने के मामले ने इस रेंजर को भ्रष्टाचार में एक बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है | इस मामले में युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिव दुर्गेश राय ने कार्यवाही की मांग करते रेंजर के पुराने ठंडे पड़े पीटारो को संज्ञान में लेने कहा है ।अतिवृष्टि का नाम लेकर इस भ्रष्टाचार को ढकने के लिए वन विभाग भी अपने इस कर्मी के साथ कदमताल मिलाते दिखता है ।राय ने इस मामले को तह तक ले जाने कोई कसर नहीं छोड़ने की बात कही है ।साथ ही उन्होंने कहा है कि स्टॉप डैम में बाल मज़दूरों से गोठान कार्य के मामले को भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को भी अवगत कराया जा चुका है ।शासन के मंशा अनुरूप कार्य योजना बनाया जाता है ताकि संबंधित क्षेत्र के मज़दूरों, किसानों को सीधा लाभ पहुँचे लेकिन शासन के ही ये कर्णधार भ्रष्टाचार की हदें पार कर योजना की धज़्ज़ियाँ उड़ा देते है ।और मामला उजागर होने पर पूरी ताकत से दबाने में भी सफल हो जाते हैं ।कमोबेश संभाग के हर क्षेत्र में ऐसे मामले मिलते ही रहते है और कारवाही के नाम पर छोटे कर्मियों पर ही गाज गिरती है बड़ी मछलियां बच जाती है ।जनहित में उक्त घटनाक्रम की जांच होनी चाहिए और देखना होगा सुकमा रेंजर इस नए मामले को कैसे सेटल करते हैं |
इस विषय पर एसडीओ टी.आर मड़ई ने कहा कि :- अतिवृष्टि के कारण हुआ है | और रेंजर अशोक त्रिपाठी ने :- प्राकृतिक आपदा को ज़िम्मेदार ठराया |