प्रांतीय वॉच

कोरोना संकट के दौर में भी गैरजरूरी कामों में किया जा रहा जनसंपर्क राशि का बंदरबाट: ताराचंद सोनवानी

Share this
रवि सेन/बागबाहरा : प्रदेश और महासमुंद जिला में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से सभी वर्गो के लोगों की जिंदगी में बड़े बदलाव किए हैं। आम जनता कोरोना महामारी के संक्रमण के साथ बेरोजगारी और आर्थिकतंगी से जूझ रहा हैं। जिले में बढ़ते संक्रमण को रोकने 14 अप्रैल से 15 मई तक प्रशासन द्वारा लॉकडाऊन किया गया हैं। जिसके चलते कामधंधे, व्यापार, दुकानें सहित बहुत सारे गतिविधियां बंद हैं। लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। जिसका सीधा असर उनके जेब पर पड़ रहा हैं। मार्च 2020 से कोरोना संक्रमण के कारण बार-बार लोगों को लॉकडाऊन झेलना पड़ रहा जिसके कारण निजी सेक्टर काम करने वाले लाखों लोगों का रोजगार छिन्न जाने से बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। जिससे आम लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों की चीजों के लिये जूझना पड़ रहा हैं ऐसे समय में हमारे महासमुंद के  किसानपुत्र सांसद चुन्नीलाल साहू को कोरोना संक्रमण, आम जनता की समस्या, बेमौसम बारिश से हुई किसानों का नुकसान नजर नही आ रहा हैं। बल्कि विधानसभा खल्लारी के अंतर्गत क्रिकेट टीमों को क्रिकेट खेलने की सामग्री, मानस मंडलियों को भजन गाने के लिये संगीत समान, युवा समितियों, महिलाओं के समितियों और शाला विकास समिति को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों करवाने की चिंता पड़ी हुई हैं। जिसके कारण संकट के दौर में भी गैर जरूरी कार्यो के लिये जनसम्पर्क राशि का बंदरबांट कर रहे हैं उक्त बातें युवा कांग्रेस महासमुंद के जिला उपाध्यक्ष ताराचंद सोनवानी ने अपनी विज्ञप्ति में कहीं और आगे कहा कि जबकि प्रदेश के हालात ठीक नही हैं। लोग कोरोना संक्रमण के साथ साथ अपनी पेट की भूख की आग से जूझ रहे हैं। लोगों को ऐसे समय के क्रिकेट खेलने, भजन गाने और अन्य सामाजिक व सांस्कृति गतिविधियों में सहयोग की आवश्यकता नही हैं। बल्कि कोरोना संक्रमण से इलाज, बेहतर प्रबंधन और गरीब तबके के लोगों को खाने पीने का उचित प्रबंधन में  करने की आवश्यकता हैं। एक तरफ प्रदेश भाजपा के नेता राज्य के भूपेश सरकार की कार्यशैली, बेहतर ढंग से किये जा रहे कार्यो पर उंगली उठाते हैं। प्रदेश में आये दिन कोरोना संक्रमण के बचाव में किये जा रहे कार्यो प्रबंधन को नाकाफी बताते हैं। कभी ऑक्सीजन कमी, कभी बेड की कमी और तो और पहले गरीब लोगों को लग रहे टीकाकरण पर प्रश्नचिन्ह करते हुये काला दिवस मानते है, राज्यपाल को ज्ञापन सौपकर विरोध प्रदर्शन करते हैं। तो क्या ऐसे संकट की घड़ी में हमारे सांसद को गैर जरूरी कामों के लिये जनसंपर्क का राशि का बंदरबांट करना चाहिये? जबकि उनकी ही केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पूर्व में कोरोना महामारी से लड़ने के लिये सांसद निधी 2 वर्ष के लिये खत्म कर दी गई हैं।
Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *