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भूपेश बघेल की राष्ट्रीय नेता बनने की महत्वाकांक्षा ध्वस्त हो गई : चंद्रशेखर साहू

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महेन्द्र सिंह/पांडुका/नवापारा/राजिम/रायपुर: असम चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगवानी में असम में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर भाजपा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ने तंज कसते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम चुनाव अभियान को अपने हाथों में लेकर बड़े बड़े वादे असम की जनता से की थी और वहाँ छत्तीसगढ़ के सारे संसाधनों को झोंककर इस मुगालते में रहे कि असम चुनाव जिताकर वे कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हो जाएंगे। आज असम की जनता ने तुष्टिकरण और वादाखिलाफी के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के सबका साथ सबका विकास की परिकल्पना पर अपना विश्वास जताया है जो आने वाले समय में असम के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस और सरकार को जिस प्रकार से असम चुनाव में झोंक दिया था और 100 से अधिक सीटें जीतकर असम में कांग्रेस सरकार बनाने का दावा किया था वो आज फेल हो गया। उनके द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य तो ढंग से संभला नहीं जा रहा और असम जाकर छत्तीसगढ़ मॉडल की बात कहते रहे,आज असम वासियों ने भी बता दिया कि उनका छत्तीसगढ़ मॉडल पूरी तरह विफल रही है और कोई भी वादे वो छत्तीसगढ़ में पूरे नहीं किए जिसके कारण असम वासियों ने कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह नकार दिया। बड़े-बड़े दावे और खोखले दावों के बल पर चुनाव में जीत नहीं मिलती। जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री असम की कमान संभाले हुए थे और पूरी तरह उनका छत्तीसगढ़ मॉडल विफल रहा उसको ध्यान में रखकर नैतिकता के नाते उन्हें हार की जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि असम चुनाव की सारी जिम्मेदारी वो लिए हुए थे और इतने अति आत्मविश्वास में थे कि असम के प्रत्याशियों को छत्तीसगढ़ में लाकर रखे हुए थे। बस्तर की माटी नक्सलियों के आतंक से लाल हो चुकी थी लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और बस्तर के सांसद दीपक बैज जवानों की शहादत को भुलाकर असम के चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे और जब तक चुनाव प्रचार की मियाद खत्म नहीं हुई तब तक वो छत्तीसगढ़ के जवानों को मरने के लिए छोड़कर गाँधी परिवार की चरणवन्दना में लीन रहे। आज प्रदेश कोरोना महामारी की चपेट में है लेकिन मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारियों को छोड़कर असमिया नेताओं को बस्तर के पर्यटन करा रहे थे और बस्तर के प्रशासन को कोरोना नियंत्रण से हटाकर असमिया नेताओं के बकरा पार्टी और आवभगत में लगा दिया था। कुल मिलाकर कहें तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विफलता के स्मारक बन चुके हैं और असम चुनाव में हार के बाद उन्हें नैतिक रूप से हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।

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