- वन विभाग करवा रहा घर से ना निकलने की मुनादी, वन परिक्षेत्र अधिकारी के दुर्व्यवहार से आक्रोशित हैं ग्रामीण
कमलेश रजक /मुंडा : वन परिक्षेत्र लवन में पदस्थ रेंजर एनके सिन्हा के दुर्व्यवहार से ग्रामीण आक्रोशित हैं रेंजर ग्रामीणों की बात सुनने के बजाय उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। गजराज वाहन के नाम पर भी भ्रष्टाचार कर सरकार को पलीता लगा रहे हैं गजराज वाहन से हाथी भगाने के बजाय लोगों को घर से ना निकलने की मुनादी कर रहे।
बलौदा बाजार जिले के वनमंडल अंतर्गत लवन वन परिक्षेत्र के ग्राम अर्जुनी, खैरा, बरबसपुर, बल्दाकछार, औराई में हाथी के दल ने आतंक मचा रखा है। हाथियों ने आसपास के किसानों की धान की हरी-भरी फसल रौंद कर बर्बाद कर दी है।और लगातार फसल को खा भी रहे हैं ।
हाथी भगाने में वन अमला पूरी तरह नाकाम है। वन महकमे द्वारा गजराज वाहन के माध्यम से गांव में घूमकर घरों से बाहर न निकलने की मुनादी की जा रही है । दिन में मुनादी कर वन विभाग के जिम्मेदार नदारद हो जाते हैं। और जो किसान अपने खेतों में फसल लगाएं हैं वह फसल को बर्बाद होते देखने के लिए मजबूर हैं किसानों के अनुसार प्रति एकड़ 40- 45,000 का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि वन विभाग द्वारा प्रति एकड़ सिर्फ 9000 का मुआवजा दिया जाना है।
इस संबंध में ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां पदस्थ वन परीक्षेत्र अधिकारी एनके सिन्हा का रवैया बेहद आपत्तिजनक है। उनके द्वारा शिकायत करने पर ग्रामीणों से दुर्व्यवहार किया जाता है। एवं खुलेआम धमकी दी जाती है कि मेरा कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता, विधायक और मंत्री को मैंने खरीद रखा है। ज्यादा शिकायत करोगे तो गांव से निकलवा दूंगा जंगल का मालिक मैं हूं मेरी जैसी मर्जी होगी वैसे करूंगा। ज्ञात हो कि इस तरह की शब्दावली का प्रयोग करने वाले और मंत्री विधायक को खरीदने वाले बलौदा बाजार वन मंडल के यह पहले रेंजर हैं जिन्हें किसी की परवाह नहीं है ग्रामीणों के जान माल की तो बिल्कुल भी नहीं इसीलिए ऊंची पहुंच का रूप दिखाते हुए उनके द्वारा क्षेत्र में घोर लापरवाही बरती जा रही है। हाथी भगाने के लिए उपाय भी नहीं किया जा रहा है। गजराज वाहन के माध्यम से वन अमला यदि चाहे तो हाथियों को गांव से दूर भगा सकता है। लेकिन कर्मचारी अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। कल एक हाथी अर्जुनी ग्राम के गली में भी घुस गया था। हाथी के आतंक से ग्रामीण काफी भयभीत हैं और घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर किसान अपनी फसल बचाने के लिए जान जोखिम में डालकर अभी भी खेतों में रखवाली करने के लिए जा रहे हैं।