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कोविड सेंटर में बड़ी लापरवाही : मरीजों को बासी खाना भोजन रहा प्रशासन, वीडियो वायरल हुआ तो अफसर बोले- कोरोना की वजह टेस्ट नहीं आ रहा होगा, सब ठीक है

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गरियाबंद : गरियाबंद जिले के पॉलिटेक्निक कॉलेज में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में गुरुवार को हंगामा हो गया। सोशल मीडिया पर मरीजों ने एक वीडियो भी वायरल कर दिया। इसमें वो दावा करते दिख रहे हैं कि उन्हें बासी खाना दिया जा रहा है। मरीज खाने के पैकेट खोलकर दिखा रहे हैं, जिसमें वो चावल और दाल को घटिया क्वालिटी का बता रहे हैं। जबकि कोरोना संक्रमितों को पौष्टिक खाना देने की जरूरत होती है। प्रशासन ने मरीजों के घटिया खाने के दावे को खारिज किया है। अब भाजपा भी सरकार पर हमलावर हो गई है और जिले के कलेक्टर को हटाने की मांग कर रही है।

टेंडर हुआ निरस्त
जब जिला कोविड केयर सेंटर में मरीजों ने फिर हंगामा कर दिया। बता दें कि इसी अस्पताल में इलाज करा रहे लोगों ने 13 अप्रैल को भी हंगामा किया था। जिसके बाद से ही फूड सप्लाई करने वाले वेंडर का टेंडर निरस्त कर दूसरी एजेंसी को काम दिया गया। इसके बाद भी मरीजों का आरोप है कि गुरुवार को भी खाना उन्हें बासी दिया गया है।

कलेक्टर को हटाया जाए
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने असम के नेताओं को बस्तर में दावत देने के मामले को जोड़कर कहा है कि एक तरफ सरकार बकरा-भात की पार्टी कर रही है। दूसरी तरफ कोरोना मरीज इस तरह परेशान हो रहे हैं। ये केवल गरियाबंद का नहीं,बल्कि राजिम और बालोद में भी इस तरह की समस्या है। एक दिन में टेंडर निरस्त भी कर दिया गया और दूसर दिन दूसरे को टेंडर दे भी दिया गया। इस मामले में जांच होना चाहिए और कलेक्टर को भी हटा देना चाहिए।

राजनीति कर रही भाजपा
कांग्रेस प्रवक्ता ने धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि संकट के समय में भाजपा को भी लोगों की मदद करना चाहिए,लेकिन बीजेपी सिर्फ राजनीति कर रही है। ठाकुर ने कहा कि खाने की शिकायत पूरी तरह से सही नहीं है। कहीं इस तरह की समस्या आती है तो प्रशासन उसे तुरंत दुरुस्त करता है।

अफसरों का जवाब भी गजब
इधर जिला खाद्य एवं औषधीय अधिकारी तरुण बिरला जो कोविड केयर अस्पताल में भोजन के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे है, उनका कहना है कि भोजन बासी नहीं है, ठंडा भले ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि वे गुरुवार को सुबह से ही कोविड सेंटर की मैस में मौजूद थे और अपनी आंखों के सामने खाने को बनवा रहे है। इसलिए वे दावे के साथ कह सकते है कि भोजन बासी नहीं है। तरुण बिरला का कहना है कि इस बीमारी में मरीजों के खाने का टेस्ट बदल जाता है। इसलिए कई बार मरीजों का खाना अच्छा नहीं लगता है। कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने इस मामले की जांच करने को कहा है।

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