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किसी भी समाज व संस्कृति की प्रतिबिंब महिलाएं होती हैः एडीजे पांडे

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़। विधिक सेवा समिति के तत्वाधान में सोमवार को रेस्ट हाउस में महिला दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभागीय अधिकारी-कर्मचारी महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। आयोजन में मुख्य रूप से एडीजे विभा पांडे, मजिस्टेªट अष्वनी कुमार चतुर्वेदी, एसडीएम अविनाष भोई, एसडीओपी चंद्रेष ठाकुर, टीआई अलेक्जेंडर किरो, अधिवक्ता संघ की उपाध्यक्ष संध्या देषपांडे, अधिवक्ता नलिनी बागड़े व अन्य मंचस्थ रहे। संबोधित करतें हुए एडीजे विभा पांडे ने कहा कि भारत में महिलाओं को विषेश स्थान मिला है, यह हमारें देष की समृद्धषाली व गौरवषाली संस्कृति है। महिलाओं को कभी आराम नहीं मिलता। वे घर में रहकर भी दोहरी भूमिका निभाती है। आज गर्व होता है कि देष के सर्वोच्च पदों पर पुरूशों से कहीं आगें महिलाएं है। लेकिन आज भी विडंबना यह है कि बेटियों को जन्म लेनें का अधिकार आज भी नहीं है। आज सोच बदलनें की जरूरत है। किसी भी समाज व संस्कृति की प्रतिबिंब महिलाएं होती है। जब तक महिलाओं को सम्मान नहीं मिलेगा तो दिखावा भी नहीं करना चाहिए। मजिस्टेªट अष्वनी कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करतें है। एसडीएम अविनाष भोई ने कहा कि जब तक हम अपनें पैरों पर खड़े नहीं हो जातें तब तक एक महिला का चाहें वह मां के रूप में हो या बहन, बेटी के रूप में हमेषा उनका ही मार्गदर्षन मिलता है। पुरूशों के जीवन में महिलाओं का अमूल्य योगदान है। 1993 में जब पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ और महिलाओं को भी चुनाव लड़नें का अधिकार मिला। तब से पुरूशों की सोच भी बदली है। महिलाएं सबसें ज्यादा सहनषील होती है। लेकिन गलत चीजों के लिए सहनषील नहीं होना चाहिए। अत्याचार होनें पर आवाज उठाकर अपनें अधिकार के लिए लड़नें की बात उन्होंने कही। कोई भी काम छोटा नहीं होता। हर कार्य करनें के लिए उमंग व उम्मीद होनी चाहिए।

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