दिनेश वाजपेयी/ बलौदाबाजार : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह उन महिलाओ की प्रशंसा करने का दिन है जो व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं। इंसान में यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो विपरीत परिस्थ्तिियां भी उसका रास्ता नहीं रोक सकतीं । इसका जीता जागता उदाहरण है अनमोल ज्वेलरी एवं बर्तन दुकान पलारी की प्रोपाइटर साधना पवार जिन्होने शादी के कुछ साल बाद ही पति की तबियत खराब रहने के बाद रोज नई चुनौतियों का सामना किया ,लेकिन हार नही मानी और आज घर के साथ ही अपने तीनो बच्चों को भी काबिल बनाने में जुटी हुई हैं। श्री मती साधना पवार ने बताया कि 1998 में शादी हुई । सभी नवविवाहिताओं की तरह मेरे मन में भी उमंगे थी। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही पति की तबियत खराब रहने लगी। हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया। उन्हे मानसिक रोग हो गया था। मेरे सभी सपने टूट गए। मुझे समझ नहीं आ रही थी कि मैं क्या करूं । जैसे तैसे मैने शुरू में सिलाई करने की ठानी एवं परिवार खर्चा चलाया ।
कम पैसे मिले, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
साधना पवार ने बताया कि शुरूआत बहुत कम पैसे के साथ हुई, लेकिन मैंने हौसला नही खोया । अगर हौसला खो देती, तो पति और बच्चों को कैसे पालती। मैंने अनमोल बर्तन दुकान एवं ज्वेलरी के रूप में काम कर अपना घर चलाया और बच्चों का पालन पोषण किया।
किसी की परवाह नहीं की
नाते रिश्तेदार घर से बाहर े निकलकर मेरे दुकान में काम करने के खिलाफ थे लेकिन जब इलाज के लिए पैंसो की बात आती तो सब कन्नी काट लेते । वह बड़ा मुश्किल दौर था। ऐसे में मैने सभी का विरोध किया और वर्ष 2005 में मात्र 10,000 रूपये महीने से काम की शुरूआत की।
लोगो ने सुनाया बहुत कुछ
जब मैने घर से बाहर निकलकर काम करना शुरू किया तो लोगो ने मुझे बहुत सुनाया। समाज की नजरें मुझ पर रहने लगीं लेकिन मैनं परवाह नहीं की ,मै जुटी रही। अभी बच्चों को पढ़ाकर काबिल बनाना मेरा लक्ष्य है। मै दुकान जाने के पहले पति को तैयार करती हूं घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए सुबह 5 बजे उठती हूं और रात 11 बजे सोती हूं और बलौदाबाजार से 15 किमी दूर व्यवसाय करने पलारी जाती हूं मैने यही सिखा है कि हार नहीं माननी , चाहे जो हो जाए मै, जुटी रहूंगी अपने घर पति और बच्चो के लिए।
हौसला यहः अगर हालात यह कहें कि आगे बढ़ना है तो किसी की परवाह न करें