- कांकेर जिले में ऐसे गरीब पेंशनरों के 46000 से अधिक बैंक खाते हैं और लगभग 5000 खाते डाकघरों में हैं
अक्कू रिजवी/ कांकेर। कांकेर राज्य सरकार अपने समाज कल्याण विभाग के माध्यम से गरीब, असहाय, विधवा, विकलांग आदि के लिए अनेक योजनाएं बनाती है और इन सब की पेंशन हेतु रकम भी भेजती है लेकिन यहां के बैंक इन योजनाओं पर पलीता लगाने या पानी फेरने पर तुले हुए हैं, जिससे सरकार की बदनामी होती है। कांकेर में अधिकतर यह देखा जा रहा है कि इस प्रकार के हितग्राही जब बैंक में यह पूछने के लिए जाते हैं कि उनका पेंशन का पैसा खाते में आया अथवा नहीं तो बैंक वाले बिना खाता देखे ही उन्हें यह कहकर भगा देते हैं कि’ जाओ जाओ अभी नहीं आया है ,जब आएगा तब आना ले जाना ।’ ऐसा रटारटाया जवाब सभी बैंकों से उसके रूखे व्यवहार वाले कर्मचारियों, अधिकारियों से मिलता है, तब उपरोक्त श्रेणी वाले गरीब लोग कलेक्टर आदि से मिलकर उनसे मांग करते हैं, आवाज उठाते हैं ,जोकि बैंकों के विरोध में नहीं जाकर समाज कल्याण विभाग के विरोध में जाती है ,जबकि सच्चाई यह है कि समाज कल्याण विभाग राज्य सरकार द्वारा भेजी गई रकम को शीघ्र अति शीघ्र हितग्राहियों के खातों में जमा कर देता है। बैंकों के बेरहम कर्मचारी अधिकारी अपना काम बचाने के लिए गरीब पेंशनरों को कई दिनों तक घुमाते रहते हैं,जब तक कि वे थक हार कर बैंक आना ही ना छोड़ दें । हमारे प्रतिनिधि को ज्ञात हुआ है कि समस्त उत्तर बस्तर कांकेर जिले में ऐसे गरीब पेंशनरों के 46000 से अधिक बैंक खाते हैं और लगभग 5000 खाते डाकघरों में हैं । इनमें से अधिकतर में गरीब पेंशनरों को इसी तरह घुमाया जाता है और इनके काम को प्राथमिकता सूची में न रखकर सबसे नीचे रखा जाता है। इस प्रकार की क्रूरता कांकेर में ही अधिक देखने में आई है । गरीब जनता की मांग पर जब कलेक्टर कार्यवाही करते हैं तो उनकी गाज सबसे पहले समाज कल्याण विभाग पर गिरती है जबकि समाज कल्याण विभाग की कोई गलती नहीं है। सारी बहानेबाजी और टालमटोल बैंक वालों द्वारा की जाती है, लेकिन कलेक्टर उनसे कुछ नहीं कहते जबकि गरीब परिवारों के प्रति दुर्व्यवहार के पूरी तरह जिम्मेदार बैंक वाले ही होते हैं जिन्होंने जनता के साथ दुर्व्यवहार को अपनी आदत में ही शुमार कर लिया है । बैंक का पहला उसूल होता है ” कस्टमर इज ऑलवेज राइट ” लेकिन कांकेर के बैंकों का रवैया पुलिस थाने की तरह रहता है, जिनका पहला उसूल होता है ” कस्टमर इज ऑलवेज रांग ” इन लोगों के ऐसे रवैये के कारण गरीब लोग परेशान और पीड़ित होते हैं तो बदनामी समाज कल्याण विभाग के पल्ले पड़ती है क्योंकि पेंशनर यही सोचते हैं कि विभाग से अभी तक पैसा बैंकों में जमा नहीं किया गया। इस भ्रम का दूर किया जाना अति आवश्यक है। क्या कांकेर जिले के शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान देंगे?