महेन्द्र सिंह/ पाण्डुका/ श्यामनगर/ सुरसाबांधा : छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध पर्व छेरछेरा को अंचल सहित पूरे प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया गया। छेरछेरा का पर्व पूस पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। छेरछेरा पर्व के दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक युवा से लेकर बुजुर्ग तक टोली बनाकर गांव एवं के सभी घरों में छेरछेरा मांगने जाते हैं जिसका यह तात्पर्य है कि इस दिन अन्न दान किया जाता है। सभी घरों में लोग धान ,चावल या अन्न के किसी भी प्रकार को टोली में आए लोगों को वितरित करते हैं जिसमें टोली में आए लोग “छेरछेरा माई कोठी के धान हेर हेरा “कहकर लोगों को बुलाने के लिए संबोधित करते हैं और अन्न मिलने के बाद माता अन्नपूर्णा से लोगों का भंडार भरा रहने का प्रार्थना करते हैं। इस पर्व का मुख्य मकसद यही है कि लोग एक दूसरे को अन्न दान करते हैं एवं नए अन्न से बने भोजन को बनाते हैं तथा अपने कुलदेवता को नए भोजन का भोग लगाते हैं एवं स्वयं ग्रहण करते हैं । इस पर्व का मुख्य मिष्ठान”अइरसा” होता है जो कि नए चावल से बनता है ।
फोटो= छेरछेरा मांगने आए बच्चे ।