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आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था सुधरेगी तभी परिणाम होंगे प्रभावी

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आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था सुधरेगी तभी परिणाम होंगे प्रभावी

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर।महिला बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे जनोपयोगी आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्थाएं जैसी होनी चाहिए वैसी इन केंद्रों की हालत देखकर ही स्वमेव ज्ञात हो जाता है कि शासन को इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की कितनी आवश्यकता है।आमतौर पर इन केंद्रों की सफलतापूर्वक संचालन कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कारण मुमकिन होता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार केंद्र पर सुविधाओं की कमी के कारण इन्हें बहुत सी कठिनाइयों के बीच काम करना पड़ता है। इसका एक उदाहरण नगर में स्थित कई आंगनबाड़ी केन्द्रो में देखा जा सकता है, जहां संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाओं की कमी के बीच कार्यकर्ताओं, और सहायिकाओं को काम करना पड़ रहा है।यह सरकार की लापरवाही ही है कि सुपोषण के लिए उचित माहौल और परिवेश का होना जितना जरूरी है ,उस पर राज्य सरकार उतना ही लापरवाही बरत रही है । खास करके ग्रामों और शहरी श्लम एरिया में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति बहुत ही खराब है।छोटे-छोटे सीलन भरे छप्पर वाले आंगनवाड़ी केंद्र या जो किराए पर लिए गए भवन होते हैं वहां आसपास कचरे गंदगी एवं नालियां बजबजाती हुई दिखती हैं। स्वच्छ हवा युक्त आंगनबाड़ी केद्र की बहुत कमी बनी हुई है। शहरों में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र भवनविहीन है, उसमें बिजली, पानी और शौचालय की कोई सुविधा नहीं होती है।आंगनबाड़ी केंद्रों में पर 0-6 साल के बच्चों के नाम दर्ज होते हैं। साथ ही गर्भवती व शिशुवती महिलाओं के भी नाम हितग्राहियों के रूप में दर्ज रहते हैं। जिन्हें केंद्र की ओर से पोषाहार के रूप में दलिया और रेडी टू इट एवं गर्म भोजन दिए जाते हैं।साथ ही गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं,साथ ही उन्हें सेनेटरी पैड भी बांटे जाते हैं, लेकिन महीनों से इसे कई केंद्रों पर उपलब्ध नहीं कराया जाता है। केन्द्र में कार्यरत कर्मचारी बताते हैं कि बच्चों को घर से लाना और फिर उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाने की ज़िम्मेदारी भी हमारी होती है. इसके अतिरिक्त प्रतिदिन जाने से पहले यहां साफ़-सफाई भी करनी होती है।ये कहती हैं कि राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को बिजली, पानी और शौचालय की सुविधाओं से पूर्ण करने के फैसले से हमें काफी ख़ुशी हो रही है, विभाग द्वारा इस पर जल्द अमल किया जाना चाहिए। ताकि न केवल बच्चों बल्कि हमें भी इससे काम करने में आसानी होगी। आंगनबाड़ी केंद्र के कर्मी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 3 साल की आयु के बच्चे और 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों का नामांकन किया जाता है। जहां सरकार की ओर से बच्चों के बैठने के लिए कुर्सियां, मेज़ और खेलने के लिए कुछ खिलौने उपलब्ध कराये जाते हैं। लेकिन अधिकतर भवन में पानी की सुविधा नहीं है।ऐसे में आसपास के नल से पानी भर कर लाया जाता है।वह बताती हैं कि अक्सर किराए के भवन में केंद्र केवल एक कमरों का मिल पाता है , जिसमें बच्चों को बैठाने के साथ साथ रसोई के सामान भी रखे जाते हैं।रसोई के लिए अलग कमरे की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उसी कमरे में बच्चों के लिए नाश्ता और भोजन पकाने की मज़बूरी होती है, जो काफी खतरनाक भी है, हमें बहुत सावधानी से खाना पकाना होता है।
वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती है कि केंद्र नामित बच्चों को दलिया और नाश्ता, गर्म भोजन खिलाई जाती है वहीं महिला और किशोरियो को आयरन और कैल्शियम की दवाइयां दी जाती हैं।वह बताती हैं कि प्राय अनेक जगह आंगनबाड़ी केंद्र के नाम पर केवल भवन का निर्माण किया गया है. न तो इसमें पानी और न ही शौचालय की व्यवस्था है। सुविधाओं के बिना काम करना बहुत बड़ी चुनौती है. लेकिन बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हम प्रतिदिन इस चुनौती का सामना करने को तैयार रहते हैं. अब सरकार ने जब आंगनबाड़ी केंद्रों की सुध ली है और यहां सुविधाओं को बेहतर बनाने की बात कही है तो यह हमारे काम में नई ऊर्जा का संचार कर देगी. सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन या टैबलेट के साथ साथ भवनों को बुनियादी सुविधाओं से लैस करने की पहल न केवल इसके कामकाज को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा बल्कि राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।

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