जब जिम्मेदार अधिकारी अपने आप को बचाने में लगा जाए तो हितग्राहियों की समस्या को कौन सुनेगा।
लक्ष्मी कांत
मस्तूरी/प्रधानमंत्री आवास की किश्त के लिए 100 से अधिक हितग्राही दिन भर आवास शाखा का चक्कर लगाते रहते है कभी सीईओ नही मिलते तो कभी आवास शाखा के कर्मचारी शाम 4 बजे वापस खाली हाथ लौट जाते है कंप्यूटर आपरेटर के भरोसे चला रहा हैं यहा स्थिति प्रतिदिन रहती है जहां मस्तूरी जनपद कार्यालय में सैकड़ों ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास की राशि के लिए भटक रहे हैं यहां मर गई इंसानियत जब ग्राम जैतपुर बैटरी की कमला बाई तिवारी 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला को उसके बेटे ने गोद में उठाकर आवास की किस्त के लिए आवास शाखा पहुंचती है ऐसे ही ग्राम दर्राभाठा से साइकिल चलाते हुए 15 किलोमीटर सफर कर बुजुर्ग जोगीराम भी किस्त की राशि के लिए भटक रहे है
मगर आवास शाखा में बैठे अधिकारी कर्मचारी मूकदर्शक बने हुए है इनके कानों में जू तक नहीं रेंगती कोई कर्ज लेकर आवास बना रहे तो कोई अपनी कुछ सामान गिरवी रख कर इतना ही नहीं हितग्राहियों के पैसे जिला से जनपद आने-जाने में हो रहा खर्च हितग्राहियों को इन सबसे मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना सहनी पड़ रही है आवास आते ही हितग्राहियों के खुशी था कि जल्द ही उन्हें पक्का आशियाना मिल जाएगा लेकिन आवास शाखा में बैठे अधिकारियों के लापरवाही से हितग्राहियों का सपने टूटते नजर आ रहे है आवास शाखा की कार्यालय में कुछ दलाल सक्रिय नजर आ जायेंगे जो आवास शाखा में बैठे रहते है कभी जनपद में काम नहीं किया हो बस हितग्राहियों की सूची देख दलाल किस्त की राशि डलवा देने की बात करते हैं जिसमें हितग्राहियों को पांच सौ से एक हजार खर्च करना पड़ता है तभी हितग्राहियों खातों में पैसा जमा हो जाएगा जिन हितग्राहियों जनपद में चढ़ावा नहीं दे रहे उन्हें चक्कर काटना पड़ रहा है जो निर्माण कार्य देख कर ही आवासों के कामों की प्रगति के आधार पर शासन ने दूसरी किश्त की राशि हितग्राहियों के खाते में डाल देती मगर मस्तूरी में इसका विपरित हो रहा है जनपद सीईओ के तुगलकी आदेश के कारण आवास निर्माण के हितग्राहियों के लिए मुसीबत बन गई हितग्राही जिससे कारण बैंक से पैसा नहीं निकाल पाते प्रात: 11 बजे से हितग्राही पहुंचने लगते है तो कभी सीईओ नहीं मिलते तो कभी आवास के कर्मचारी ग्रामीण 5 से 6 घंटे कड़ी धूप में भूखे-प्यासे बैठे रहते है कार्य नहीं होने से शासन-प्रशासन को कोसते हुए वापस चले जाते हैं कई लोग 40-50 किलोमीटर दूर से आने को मजबूर है ग्रामीण सुबह से घर से निकल जाते हैं ताकि समय पर जनपद कार्यालय पहुंच सके, लेकिन जनपद आने के बाद उनका कार्य होगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कई ग्रामीणों ने बताया वे तीन-चार बार चक्कर लगा चुके हैं लेकिन सीईओ मिलती ही नहीं मिलती भी है तो घंटों बैठाने के बाद शाम तक काम होता है
जनपद सीईओ जे आर भगत से जानकारी लेने पर आवास शाखा में समन्वयक को कह दी जब जिम्मेदार अधिकारी अपने आप को बचाने में लगा जाए तो हितग्राहियों की समस्या को कौन सुनेगा।
तकनीकी सहायक अनुराग राठौर का कहना है कि
आवास का अभी भी पंजीयन का कार्य चल रहा है जिसके कारण हितग्राहियों का किस्त की राशि नहीं डल पा रहा है प्रतिदिन हितग्राही आवास की समस्या लेकर पहुंच रहे है जनपद के आवास शाखा में कुछ दलाल सक्रिय है शिकायत मिला था जिसकी जांच भी की गई जियो टेक होने एक सप्ताह में किस्त डाल दिया जाता है अभी राशि डालने में थोड़ा लेट हो रहा है