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कसडोल में बारदाना की कमी से धान खरीदी हो रहा प्रभावित

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पुरूषोत्तम कैवर्त/ कसडोल। क्षेत्र के लगभग सभी धान खरीदी केन्द्रों में बारदाने का अभाव है, जिससे धान खरीदी प्रभावित हो रहा है । कुछ खरीदी केन्द्रों में तो चबूतरा भी नही है और धान का उठाव भी बहुत कम हुआ है इसलिए धान को रखने की समस्या हो रही है वही दुरस्थ अंचल के खरीदी केन्द्रों में कम्प्यूटर कक्ष नही है । अस्थाई झोपड़ी में कम्प्यूटर एवम सभी रिकार्ड रखे हुए हैं जहां विभिन्न अभावों के बाद भी खरीदी जारी है। गत दिनों अनुविभागीय अधिकारी मिथलेश कुमार डोंडे द्वारा विकास खण्ड के विभिन्न खरीदी केंद्रों का निरीक्षण किया गया। जिन्हें कर्मचारियों व किसानों द्वारा बारदाने की समस्या बताई गई । ज्ञात हो कि विकास खण्ड मुख्यालय ग्रामीण सेवा सहकारी समिति कसडोल में लगभग 60 हजार किविंटल धान की खरीदी की जाती है ।जहाँ 45 दिनों में मात्र 36 हजार किविंटल धान खरीदी की गई है । अब मात्र 15 दिन शेष बचे हैं लेकिन बारदाना के अभाव में खरीदी मन्थर गति से चल रहा है । जो किसान बाजार से बारदाना ले कर आ रहे है उन्ही का धान खरीदी किया जा रहा है । जिससे किसान बहुत दुखी नजर आ रहे हैं । इसी प्रकार दुरस्थ अंचल ग्रामीण सेवा सहकारी समिति नगेड़ी राजा देवरी में लगभग 36 हजार किविंटल धान की खरीदी होता है जहां 28 हजार किविंटल धान खरीदी हो गया है । किंतु उठाव नही होने के कारण रखने की समस्या हो गई हैं ।मौके पर उपस्थित कर्मचारियो ने बताया कि फड़ अर्थात खरीदी स्थल किसी का निजी भूमि है । इसलिए यहाँ चबूतरा नही बना है ।जिससे डेढ़ दो लाख रुपये भूसी एवम बोरी खरीदी में खर्च हो जाता है । यहाँ कम्प्यूटर कक्ष नही है इसलिए पेड़ के नीचे बॉस बल्ली एवम पैरा की झोपड़ी बनाया हुआ है वही सभी रिकार्ड रहता है । कर्मचारियो ने यह भी बताया कि पूर्व में यहाँ एक बार कम्प्यूटर चोरी भी हो चुका है । यहां के समिति प्रबंधक राम चरण चौहान सहित कर्मचारियों व किसानों ने 14 जनवरी को कसडोल के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दौरे के दौरान बताया कि यहाँ बारदाने का अभाव एवम उठाव नही हो रहा है जिसके निराकरण का आस्वासन दिया अनुविभागीय अधिकारी श्री डोंडे ने दिया है । श्री डोंडे ने इसके बाद थरगाव, खैरा व बया के खरीदी केंद्रों का निरीक्षण किया । इस प्रकार की समस्या प्राय: सभी समितियो में है फिर भी अनेकों समस्याओं के बाद भी कर्मचारी गण धान खरीदी में जुटे हुए हैं और सभी समितियो में धान खरीदी जारी है ।
लगता है राज्य सरकार धान खरीदना नहीं चाह रही है, मजबूरी में मात्र खरीदी का दिखावा कर रही है, क्योंकि राज्य सरकार की नाकामी साफ झलक रही है। राज्य के मुख्यमंत्री हर बात पर केंद्र द्वारा सहयोग नहीं करने संबंधी रोना रोकर अपना नाकामी छिपाना चाह रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार किसी राज्यों के साथ भेदभाव नहीं कर रही है। राज्य सरकार के इशारे पर पहले तो किसानों का रकबा काटा गया, अब बोरे के लिए तरसा रहे हैं। ये भूपेश बघेल सरकार की कुंठित मानसिकता को दर्शाती है। किसानों के परेशानी का जरा भी चिंता नहीं है। राज्य सरकार किसानों के धान खरीदने समय सीमा बढ़ाए और पूरी धान खरीदी करे।

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