प्रभारी अधिकारी के भरोसे परियोजना कार्यालय योजनाओं का नहीं हो रहा सफल क्रियावन
लखनपुर एकीकृत महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित परियोजना कार्यालय प्रभारी अधिकारी के भरोसे चल रहा है। परियोजना अधिकारी के न होने से योजनाओं का सफल क्रियावन विकासखंड में नहीं हो पा रहा जिससे क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।दरअसल पूर्व परियोजना अधिकारी श्रीमती जसिंता कुजूर के सेवानिवृत्त होने के पश्चात शासन प्रशासन द्वारा किसी भी स्थाई अधिकारी की नियुक्ति परियोजना कार्यालय में नहीं की गई है। वैकल्पिक व्यवस्था में कुछ दिनों के लिए अम्बिकापुर परियोजना अधिकारी को लखनपुर परियोजना कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। लेकिन दो दफ्तरों का कार्य संचालन सही तरीके से नहीं होने कारण लखनपुर परियोजना कार्यालय का प्रभार सेक्टर सुपरवाइजर को सौंप दिया गया है। ऐसे हालत में परियोजना कार्यालय का कार्यालयीन कार्य सेक्टर सुपरवाइजर के मन मुताबिक परियोजना कार्यालय का संचालन किया जा रहा है। लेट लतीफ़ आना और समय -बे -समय दफ्तर से चले जाना परियोजना कार्यालय का वसूल बन गया है। दफ्तर में बैठे जिम्मेदारो के मर्जी पर सबकुछ निर्भर करता है। विडम्बना है कि सालों बीत जाने के बाद महिला एवम बाल विकास परियोजना कार्यालय में स्थाई अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अब परियोजना कार्यालय का आलम ऐसा है तो सेक्टरों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का दशा अवस्था क्या होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। पूर्ववर्ती सरकार ने दफ्तरो में अधिकारी कर्मचारियों के कार्यालयीन समय पर आने जाने का एक निश्चित समय सीमा तय किया था वह नियम एवं शर्तें तकरीबन खत्म होने लगा है। परियोजना कार्यालय में कर्मचारियों के आने जाने का कोई निश्चित समय नहीं है। यही कारण है कि निगरानी नियंत्रण के अभाव में क्षेत्र के अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहते हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ब्लाक क्षेत्र के सरहदी आंगनबाड़ी केंद्र अक्सर बंद देखे जाते हैं। और यदि खुला भी है तो दर्ज संख्या के हिसाब से बच्चों की उपस्थिति कम रहती है। प्रभारी परियोजना अधिकारीयों के पास इतना फुर्सत नहीं है कि आंगनबाड़ी केंद्रों का निरिक्षण कर सकें। जिससे आंगनबाड़ी केंद्र सुचारू ढंग से संचालित होता रहे।
क्षेत्र के लोगों का कहना है यदि शासन प्रशासन कार्यालय में स्थाई परियोजना अधिकारी नियुक्त कर दे तो व्यवस्था में काफी हदतक सुधार आ सकती है।
अब देखने वाली बात होगी कि परियोजना कार्यालय में किसी अधिकारी को कार्य दायित्व सौंपी जाती या फिर दफ्तर का कार्य प्रभारी सेक्टर सुपरवाइजर के भरोसे यूं ही चलता रहेगा।