‘मौत’ का इंजेक्शन, झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से युवक ने तोड़ा दम!
बिलासपुर। एक ओर जहां जिले के ग्रामीण अंचलों में मलेरिया और डायरिया जैसी बीमारियों ने तांडव मचा रखा है वही इन बीमारियों का फायदा झोला छाप डॉक्टरों द्वारा जमकर उठाया जा रहा है। इसी कड़ी में झोला छाप डॉक्टर के करतूत की एक अन्य घटना शहर से लगे सेंदरी ग्राम पंचायत से सामने आई है । ग्राम सेंदरी निवासी महिला सुभद्रा खरे उम्र 48 वर्ष ने कोनी थाना में शिकायत की है जिसमें उसने झोलाछाप डाक्टर डॉ० जय भारद्वाज निवासी सेंदरी वाले की लापरवाही से अपने पति दयालदास खरे की जान चले जाने का गंभीर आरोप लगाया है।
दरअसल यह मामला दिनांक 06 जुलाई का है । इस दिन शनिवार को सुबह 9.00 बजे आवेदिका के पति दयाल ने कहा कि हल्का सा बुखार लग रहा है गांव के डाक्टर को बुला दो, तो आवेदिका ने फोन करके सेंदरी गांव के झोला छाप डॉक्टर जय भारद्वाज को बुलाया। जय भारद्धाज घर में आकर देखा और बोला हरारत लग रहा है सुई लगाना पड़ेगा फिर एक सुई लगा दिया फिर उससे दयाल की तबियत खराब होने लगी, जय भारद्वाज आवेदिका को यह बोला कि दूसरी सुई भी लगाना पड़ेगा रूई लेकर आ जाओं जब तक आवेदिका रूई लेकर आती जय भारद्धाज आवेदिका के पति को दूसरा इंजेक्शन लगा चुका था। दूसरा इंजेक्शन लगाते ही आवेदिका के पति दयाल की तबियत और खराब होने लगी वह छटपटाने लगा और कपड़े में लेट्रिन और पेशाब भी कर डाला, पूरा मुंह काला पड़ने लगा था, जय भारद्धाज यह बोला कि गाड़ी मंगाकर सिम्स् ले जाना पड़ेगा। महिला से झोलाछाप डॉक्टर जय भारद्वाज यह बोला कि सिम्स में किसी को मत बताना कि मैं इंजेक्शन लगाया था नहीं तो पुलिस केस है कहकर कोई ईलाज भी नहीं करेगा, आवेदिका अपने पति के प्राण रक्षा को सोचकर शांत रही किन्तु सिम्स में आवेदिका को बाहर ही रोक दिया गया, सिम्स में डॉक्टर चेक करके बताये के आवेदिका के पति दयाल की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकार डॉक्टर जय भारद्वाज के गलत इलाज से युवक की जान चली गई।आवेदिका दूसरे दिन दिनांक 07.07.2024 को कोनी थाने रिपोर्ट लिखाने हेतु गई कोनी थाने में पहले तो यह बोला गया कि लिखकर लाओ तब रिपोर्ट लिखेंगे। चूँकि आवेदिका पढ़ी लिखी नहीं है बोली मैं लिख नहीं सकती, मैं बता सकती हॅू तो आवेदिका को थाने से भगा दिया गया और उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। आवेदिका की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी तो उसके पति का पोस्टमार्टम भी नहीं हो पाया विवश होकर आवेदिका दूसरे दिन अपने पति का कफन दफन कर दी है। ग्राम सेंदरी के झोला छाप डॉक्टर ने आवेदिका को विधवा एवं उसके छह बच्चों को अनाथ कर दिया गया है इसके बाद पुलिस थाना कोनी के द्वारा आवेदिका की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी। इसलिए पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक महोदय के नाम आवेदन दिया तब जाकर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर कोनी थाने में कार्यवाही की बात की जा रही है। कोनी थाना प्रभारी नवीन देवांगन ने बताया है कि सुभद्रा खरे महिला द्वारा झोलाछाप डॉक्टर के ऊपर गलत इलाज करने का आरोप लगाया है जिसके कारणवश उसके पति की मृत्यु हो गई है, जोकि मृत व्यक्ति का कफन दफन का कार्यक्रम हो चुका है इस वजह से संबंधित थाना द्वारा एसडीएम को प्रतिवेदन भेजा गया है जिसमें शव को वापस निकाल कर पोस्टमार्टम करने की अनुमति मांगी गई है। थाना प्रभारी नवीन देवांगन के मुताबिक एसडीएम से मृत्यु व्यक्ति का शव निकाल कर मौके पर पोस्टमार्टम करने की अनुमति मिल गई है । पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के कारण का पता लग सकेगा।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई सिर्फ कागजों पर?
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक क्षेत्र में ऐसे कई झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं। जो गरीब ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। कुछ ने तो बकायदा क्लीनिक खोल रखी है तो उन्हें में से गिने चुने बैग लिए घर पहुंच सुविधा देते हैं। लेकिन स्वास्थ्य महकमा सबकुछ जानकर भी अनजान बना हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी बाकायदा गैंग बनाकर इन झोलाछाप डॉक्टरों से प्रतिमाह मोटी रकम वसूल कर इन्हें अभय दान दे रहे हैं। जिससे इन झोला छाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद है और यह लोगों की जान से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं।