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श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा

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श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा

– सुरेश सिंह बैस

बिलासपुर। सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में आषाढ़ गुप्त नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के आठवे दिन प्रातःकालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार किया गया। श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया। परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया गया। प्रतिदिन रात्रिकालीन 8:00 बजे से 12:30 बजे तक पीताम्बरा हवनात्मक महायज्ञ मे श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी मंत्र के द्वारा 21 हजार आहुतियाँ दी जा रही है, एवं रात्रि 12:30 बजे महाआरती संपन्न हो रहा है। सोमवार नवमी को कमला देवी के रूप में कन्याओं का पूजन किया जाएगा, तत्पश्चात कन्या भोजन का आयोजन किया जाएगा। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है। माता की उपासना विशेष रूप से वाद विवाद, शास्त्रार्थ, मुकदमे में विजय प्राप्त करने के लिए कोई आप पर अकारण अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने असाध्य रोगों से छुटकारा बंधन मुक्त संकट से उद्धार, उपद्रवो की शांति, ग्रह शांति, संतान प्राप्ति जिस कन्या का विवाह ना हो रहा हो उसके मनचाहे वर्ग की प्राप्ति के लिए की जाती है। भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक में अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है दुलहन अतः मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। देवी बगलामुखी रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजित होती हैं और रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाथ करती हैं।

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