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पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक सचिव हड़ताल पर,पंचायतों में काम काज ठप, स्थानीय मजदूर पलायन करने को बाध्य… देखें वीडियो…

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  • हड़ताल के बीसवें दिन बाद भी सरकार का सचिवों के मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं

सम्मैया पागे/बीजापुर :  गौरतलब है कि पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक सचिव उसूर विकास खंड के सभी सचिव आवापल्ली मुख्यालय में सड़क किनारे पंडाल लगाकर जायज मांगों को लेकर हड़ताल में 20 दिन से डटे हुए हैं। सचिवों ने रिपोर्टिंग के दौरान बताया है कि पंचायत स्तर में उनके मार्फत भर्ती किए- गए शिक्षाकर्मियों का सरकार नियमित करण किया । वही सचिवों का नियमित करण करने में सरकार के इस सौतेले रवैया से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा जब तक सरकार कोई निर्णय नहीं लेगा तब तक हड़ताल में डटे रहेंगे। उनके यह मांग है कि सरकार सचिवों को नियमित करण करें और रोजगार सहायक सचिवों को वरिष्ठता के आधार पर पंचायत सचिव के पद पर सीधी भर्ती तथा सहायक सचिव का दर्जा देने की मांग सालों से करते आ रहे हैं लेकिन हर बार सरकार मांग पूर्ण करने के नाम पर झूठे आश्वासन देकर हड़ताल वापस लेने को बाध्य करती हैं‌। हड़ताल से वापस काम के ओर लौटने के बाद सरकार आश्वासन से मुकर जाती है। बार बार के झूठे आश्वासनों से क्षुब्ध होकर इस बार पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक सचिवों ने ठान लिया है कि सरकार से मांगे मनवाकर ही दम लेंने के जिद में सचिव भूख हड़ताल में चले गए। सचिवों का भूख हड़ताल का दूसरा दिन हैं। सचिव अब खुद को लाचार और ठगा-सा महसूस कर रहें हैं। बहरहाल जिले में पंचायत सचिव लंबे दिनों से हड़ताल में चले जाने से ग्राम पंचायतों में होने वाले रोजगार मूलक कार्य सहित प्रधानमंत्री आवास तथा अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन जमीन स्तर पर काफी प्रभावित हो गए। बुनियादी सुविधाओं से महरुम पंचायतों में विकास कार्यों में काम किए स्थानीय मजदूरों को सचिव हड़ताल में जाने से मजदूरी नहीं मिलने से रोज कमाओं रोज खाओ मुफलिसी तबके के सैकड़ों मजदूर रोजी-रोटी के जुगाड में जिले के पड़ोसी राज्य तेलंगाना आंध्रप्रदेश महाराष्ट्र के ओर मजबूरन पलायन करने को बाध्य हो गए। एक ओर सचिव मांगों को लेकर जिद मे हाडे है। सरकार है कि मानती नहीं, सचिव करें तो क्या करें। लेकिन नक्सल प्रभावित इलाकों में जान को जोखिम में डालकर ग्राम पंचायत का संचालन करने में सचिवों का अहम हिस्सा होता है। एक एक तरफ जाओ तो खाई दूसरे तरफ जाओ तो मौत। बावजूद इसके शासन के द्वारा चलाये जा रहे जनकल्याणकारी योजनाओं को शासन प्रशासन के निर्देश में ग्राम पंचायत के धरातल में योजनाओं का सृजन एवं शुभ मुहूर्त देने में अहम भूमिका सचिव और रोजगार सहायक सचिवों का होता हैं। इससे सरकार नजदीकी से परिचित होने बाद भी पंचायत सचिव और रोजगार सहायक सचिवों के मांगों को नजरंदाज करना समझ परे है। इसका खामियाजा जिले के ग्राम पंचायतों के बाशिंदे व मजदूरों को भुगतान पड़ रहा हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सचिवों के हड़ताल के बीसवें दिन बाद भी उनके मांगों के संदर्भ में निर्णय नहीं लेकर सरकार संवेदनहीनता का परिचय दे रही हैं।

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