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हड़ताल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सीधा असर, सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन भी रूका, मजदूर व पेंशनधारी हो रहे परेशान

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तिलकराम मंडावी/ डोंगरगढ़ : पंचायती राज व्यवस्था का दारोमदार सरपंच, सचिव व रोजगार सहायकों के कंधों पर है। लेकिन सचिव व रोजगार सहायकों के अनिष्चितकालीन हड़ताल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। गांवों में न तो रोजगार मूलक कार्य हो रहे है और न ही राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को गति मिल पा रही है। सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में षामिल नरवा, गरवा, घुरवा व बाड़ी का क्रियान्वयन रूक गया है। क्योंकि कार्यों को गति देने वालें ही काम, कलम व ताला बंद करके ब्लॉक मुख्यालय में धरनें पर बैठे हुए है। इधर 15 दिन बीत जानें के बाद भी सरकार की ओर से अब तक किसी तरह की प्रतिक्रिया भी सामनें नहीं आई है। ऐसे में कर्मचारियों की हड़ताल आगें भी जारी रहेगी। हड़तालियों ने तो 26 जनवरी तक तिथि वार प्रदर्षनों की घोशणा भी कर दी है। ऐसे में फिलहाल तो आंदोलन खत्म होनें की कोई संभावना नहीं दिख रही। ऐसे में ग्रामीणों को राहत की उम्मीद नहीं है। रोजाना पंचायत स्तर पर होनें वालें काम-काज ठप्प होनें से समय पर दस्तावेज भी तैयार नहीं हो रहे है। गरवा प्रोजेक्ट के तहत गोबर खरीदी भी पंचायतों में नहीं हो रही है। खरीदी की जवाबदारी रोजगार सहायकों पर थी। हालांकि महिला समूहों के माध्यम से गोबर खरीदा जा रहा था। लेकिन रजिस्टर मेंटेनेंस से लेकर भुगतान आदि की जवाबदारी सचिवों की है। भुगतान नहीं होनें से महिला समूहों ने फिलहाल खरीदी करनें से इंकार कर दिया है।
हड़ताल से जानिए सरकार की कौन सी योजनाएं हो गई ठप्प
रोजगार मूलक कार्य बंदः ग्राम पंचायतों में खेती-किसानी कार्य नहीं होनें से ग्रामीणों की परेषानी बढ़ गई है। जबकि पंचायतों में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत कई तरह के कार्य स्वीकृत है। इसके बावजूद हड़ताल के चलतें ग्रामीण कार्य नहीं कर पा रहे है। रोजगार गारंटी योजना के कार्य में मस्टररोल तैयार करनें से लेकर गोदी नापनें की जवाबदारी रोजगार सहायकों की होती है। लेकिन इनके हड़ताल पर जानें से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार गारंटी के कार्य बंद है और मजदूरों को रोजी-रोटी के लिए फिर से पलायन करना पड़ रहा है।
पेंषन व राषन कार्ड फॉर्म नहीं भर रहेः हितग्राहियों को पेंषन से लेकर राषन कार्ड आदि के लिए पंचायतों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। रोजाना पेंषन फार्म भरनें से लेकर राषन कार्ड बनानें व संषोधन के लिए ग्रामीण सचिवों पर आश्रित है। पंचायतों में ताला लगा होनें से हितग्राहियों को भी भटकना पड़ रहा है। कई हितग्राही अपनी समस्या लेकर जनपद पहुंच रहे है, लेकिन उनकी समस्या पंचायत स्तर पर ही निराकृत होनी है। इसलिए जनपद के अफसर भी हितग्राहियों को संतुश्टिपूर्वक जवाब नहीं दे पा रहे। सचिवों के काम पर लौटनें के बाद ही पेंषन व राषन कार्ड के लिए फॉर्म भरे जाएंगे।
यह दस्तावेज जरूरीः लेकिन 15 दिनों से यह भी अटका- पंचायतों के माध्यम से बननें वाला जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र भी नहीं बन पा रहा है। जबकि यह दस्तावेज तिथिवार ही बनतें है। किसी के जन्म या मृत्यु की सूचना पंचायत को 21 दिनों के भीतर देनी होती है और उसी मियाद में प्रमाण-पत्र बनाकर देना होता है। लेकिन हड़ताल के चलतें 15 दिनों से पंचायतों में प्रमाण-पत्र बनानें का काम भी अटक गया है। यदि मियाद रहतें यह प्रमाण-पत्र नहीं बन पाया तो फिर हितग्राहियों को अतिरिक्त खर्च करके तहसील कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ेगा। इसे लेकर भी ग्रामीणों की ही समस्या बढ़ेगी।
हस्ताक्षर के बगैर भुगतान नहींः इधर सचिवों के हड़ताल से सरपंच भी खासे परेषान है। पंचायत में फंड होनें के बाद भी सचिवों के हस्ताक्षर के बिना वे भुगतान भी नहीं कर पा रहे है। जबकि मटेरियल खरीदी से लेकर अन्य तरह की उधारी सरपंचों पर है। दुकानदार भुगतान के लिए लगातार दबाव बना रहे है। पंचायतों में 14 वे व 15 वे वित्त की राषि बची हुई है। जिससें भुगतान व अन्य तरह के खर्च होनें है। लेकिन उनके हस्ताक्षर के बिना सरपंच भी कुछ नहीं कर पा रहे है। सरपंच संघ के अध्यक्ष आबिद खान ने कहा कि हड़ताल के चलतें सारें तरह के भुगतान अटक गए है।

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