रायपुर वॉच

तिरछी नजर 👀 :महानदी भवन में कमरों की समस्या..…. ✒️✒️

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छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद केन्द्र में पदस्थ छत्तीसगढ़ केडर के आईएएस, आईपीएस व अन्य सेवा के अधिकारी मूल प्रदेश में वापस लौट रहे है। पहले सीनियर अफसरों का अभाव था कामकाज प्रभावित हो रहे थे। अब बदली हुई परिस्थिती में मंत्रालय के चौथे व तीसरे मंजिल में भी सीनियर अफसरों के लिये उनके पद और गरिमा के अनुरूप कमरे नहीं बचे है। हालात यह है कि अभिनाश चंपावत जैसे सीनियर अफसर को मंत्री ब्लॉक में कमरे आबंटित किये गये है।ऋचा शर्मा पदोन्नति होकर एसीएस हो चुके हैं। सामान्यत: सीनियर अफसरों को चौथे मंजिल में अपेक्षाकृत सुविधाजनक कमरे आबंटित किये जाते है मगर इस समय पूरा चौथी मंजिल के कमरे आबंटित है अधिकारी काम कर रहे है एक और सीनियर अफसर को पिछले दिनों हुए फेरबदल में मंत्रालय वापस लाया गया। लेकिन कमरों की मारामारी है। मंत्रालय के रजिस्ट्रार और अन्य अफसर चितिंत है। लोकसभा चुनाव के बाद कुछ और सीनियर अधिकारियों के आने की चर्चा है।

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आरएसएस में बदलाव

आरएसएस में पिछले दिनों हुए परिवर्तन के बाद छत्तीसगढ़ के स्वयं सेवकों को तवज्जों मिली है। पहले यह माना जाता था कि आरएसएस में मराठी और ब्राम्हणों का वर्चस्व रहता है। लेकिन आरएसएस में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। नई कार्यकारिणी में छत्तीसगढ़ के स्थानीय स्वयं सेवकों को पदोन्नति देकर महत्वपूर्ण कई जिम्मेदारियां दी गई है, इसमें पाटन क्षेत्र के दो प्रमुख स्वयं सेवकों को बड़े पदो में बैठाया गया है। इसमें एक के पास पश्चिम बंगाल में पार्टी केडर खड़ा करने की जिम्मेदारी है। संघ में ज्यादातर पद पिछड़े वर्गो को देकर एक नया संदेश भी दिया है। छत्तीसगढ़ में सरकार लाने में बड़ी भूमिका निभाने वाली समर्पित और सक्रिय आरएसएस की टीम परिस्थितियों पर नजर रखने लगातार बैठक और समीक्षा भी कर रही है।


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राजस्व के पेडिंग फाइलों में भारी इजाफा

भूपेश सरकार ने राजस्व के नियम कानून में कई बड़े बदलाव किये थे। इस बदलाव के बाद जमीन के धंधे में बूम आया था। इन नियम कानूनों को जारी रखना है या फेरबदल करना है इस पर भाजपा में शीर्ष स्तर पर गहन मंथन चल रही है। भाजपा ने कई कामों को जांच कराने की घोषणा भी किया है। शासन स्तर पर इस संबंध में पूछताछ भी चल रही है। नियम कानून और योजना बनने के बाद बंद करना नई सरकार के लिये कठिन चुनौतीपूर्ण काम होता है। मंत्रालय से इस संबंध में विचार विमर्श करने के बाद फाइल चली है। इस फाइल में पुराने नियमों को नियमानुसार बेहतर बता दिया गया है। अब सरकार के सामने दुविधापूर्ण स्थिति है। जिले के अधिकारी राजस्व की फाइल करने में परहेज कर रहे है। सैकड़ों फाइले डंप होकर पड़ी है। इन मामलों से सरकार को राजस्व का अरबो-खरबो का फायदा भी होगा। फिलहाल चुनाव आचार संहित का हवाला देकर रोक दिया गया है। लेकिन असल कारण सरकार बदलने के बाद की नौकरशाही है।

पावर कंपनी की पोल

गुढ़ियारी में आगजनी की घटना से पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की कार्यशैली की पोल खोलकर रख दी है। डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के एमडी मनोज खरे भूपेश सरकार के करीबी अफसरों में गिने जाते रहे हैं।
खरे अपने कैरियर का ज्यादातर समय ट्रांसमिशन का ही काम देखते रहे हैं। डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का काम बेहतर ढंग से नहीं चल पा रहा है। बेमेतरा में बिजली कटौती के विरोध में किसानों ने जाम भी किया था।
चर्चा है कि एमडी ने उन अफसरों को हटा दिया जिनका सीधा कोई लेना देना नहीं था। अपने करीबियों को बचाने में कामयाब रहे। मगर अब आगजनी की घटना के बाद कंपनी में क्या कुछ बदलाव होगा,यह आने वाले समय में पता चलेगा।

मूणत का गुस्सा

गुढ़ियारी ट्रांसफर यार्ड में आगजनी मामले पर पूर्व मंत्री राजेश मूणत काफी गंभीर और गुस्से में नजर आए। यह इलाका उनके अपने विधानसभा में आता है। जैसे ही घटना की जानकारी मिली,मूणत वहां पहुंच और आग बुझाने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने की कोशिश करते रहे।
प्रशासन और पुलिस का अमला काफी देर बाद पहुंचा, फिर क्या था मूणत ने अफसरों को खूब खरी-खोटी सुनाई। बाद में कलेक्टर गौरव सिंह पूरी रात वहां डटकर आगजनी पर काबू पाने तक रहे। फिर भी आग से डेढ़ सौ करोड़ का नुक़सान हो चुका था।

 

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