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श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में अप्रैल माह में वार्षिकोत्सव यज्ञ भागवत प्राण प्रतिष्ठा एवं चैत्र भाषण नवरात्र उत्सव की तैयारी हुई प्रारंभ

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श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में अप्रैल माह में वार्षिकोत्सव यज्ञ भागवत प्राण प्रतिष्ठा एवं चैत्र भाषण नवरात्र उत्सव की तैयारी हुई प्रारंभ

 सुरेश सिंह बैस

बिलासपुर। नगर एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश का अद्वितीय त्रिदेव मंदिर श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में वार्षिक महोत्सव द्वितीय वर्ष रुद्र चण्डी महायज्ञ, श्रीमद् दैवी भागवत श्री प्राण-प्रतिष्ठा चैत्र वासंत नवरात्र उत्सव मंगलवार 09 अप्रैल 2024 से बुधवार 17 अप्रैल 2024 तक हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।महेशान्नापरो देवो नाऽपरा स्तुतिः । अघोरान्नाऽपरामनो छत्वा गुरोः परम् ।।धर्मप्रेमी श्रद्धालु भक्तगण, आपको जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि भगवान भूतनाथ, शूलपाणि, भवानीपति, कैलाशवासी, चन्द्रमौलेश्वर, आशुतोष, विश्वेश्वर की अनुकम्पा से परमाराध्य सद्‌गुरुदेव परमश्रद्धेय प्रातः स्मरणीय शिवस्वरूप ब्रह्मलीन परमपूज्य परमहंस श्री 108 श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज की कृपाछाया एवं आशीर्वाद से बिलासा नगरी न्यायधानी बिलासपुर में विश्व शांति एवं जनकल्याणार्थ श्री गणेश जी, श्री हनुमान जी, श्री भैरव जी की प्राण-प्रतिष्ठा, द्वितीय वर्ष रुद्र चण्डी महायज्ञ, श्रीमद् देवी भागवत, चैत्र वासंत नवरात्र उत्सव, श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर वार्षिक महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। आप सभी धर्मप्रेमीजन अधिक से अधिक से संख्या में सपरिवार ईष्ट मित्रों सहित भाग लेकर वासंती चैत्र नवरात्र में श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी, श्री मनोकामना घृत ज्योति कलश, श्री शारदेश्वर पारदेश्वर शिवलिंग, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी का दर्शन, यज्ञ परिक्रमा, श्रीमद् दैवी भागवत कथा-श्रवण कर देह दुर्लभ मानव जीवन को सफल बनावें।
पीताम्बरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि 09 अप्रैल 2024, मंगलवार, चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा कलश यात्रा, पञ्चांग पूजन, यज्ञ मण्डप प्रवेश, श्री मनोकामना घृत अखण्ड ज्योति कलश प्रज्ज्वलित, ध्वजारोहरण, देव प्रतिष्ठा, श्री दुर्गासप्तशती पाठ प्रारंभ होगा।
10 अप्रैल 2024, बुधवार, चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव रूद्राभिषेक नमक चमक होगा।14 अप्रैल 2024, रविवार, चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को अधिवास पूजन प्रारंभ होगा। जिसमे अधिवास-जलाधिवास, अन्नाधिवास, घृताधिवास, फलाधिवास, पुष्याधिवास, शय्याधिवास शामिल है।
15 अप्रैल 2024, सोमवार, चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी प्राण प्रतिष्ठा श्री गणेश जी, श्री हनुमान जी. श्री भैरव जी (अभिजीत महर्त में) किया जाएगा। 16 अप्रैल 2024, मंगलवार, चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी कन्यापूजन, अग्नि स्थापन, हवन श्री दुर्गासप्तशती का किया जाएगा। 17 अप्रैल 2024, बुधवार, चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी हवन रुद्राष्टाध्यायी, मध्याह्न अभिजीत मुहूर्त में यज्ञ पूर्णाहुति, भण्डारा का आयोजन किया जाएगा।
श्रीमद् दैवी भागवत कथा 09 अप्रैल 2024, मंगलवार से 16 अप्रैल 2024, मंगलवार तक प्रतिदिन अपराह्न 3.00 बजे से कथा व्यास आचार्य श्री मुरारीलाल त्रिपाठी ‘राजपुरोहित’ कटघोरा- कोरबा (छत्तीसगढ़) के श्रीमुख से किया जाएगा। कथा परायण आचार्य चन्द्रहास त्रिपाठी, कटघोरा कोरबा (छत्तीसगढ़) एवं यज्ञाचार्य आचार्य गिरधारी वल्लभ झा “वेदान्ताचार्य” वैद्यनाथधाम देवघर (झारखण्ड) होगे। पीठाधीश्वर जी ने यज्ञ की महिमा का वर्णन इस प्रकार बताया कि”पूजा, दान, संगतिकरणं यज्ञः”” सर्वं यज्ञे प्रतिष्ठितम्। पूजा, दान संगति के सम्मिलित रूप को यज्ञ कहते हैं। पूजा से देव तृप्ति, दान द्वारा धन की शुद्धि, संगतिकरण से मन की शुद्धि होती है, जहाँ सभी लाभ एक साथ हमें प्राप्त होते हैं। एक तरफ यज्ञ में स्वाहा से, दूसरी तरफ आहा आनन्द है, अमृतमय प्रसाद भोजन से देव प्रसन्न हो रहे हैं और जहाँ नर सेवा, नारायण सेवा का प्रत्यक्ष दर्शन भोजन प्रसाद, वही यज्ञ नाम सार्थक है। “यज्ञो वै विष्णुः यज भारतीय मनीषा एवं सनातन व्यवस्था का सबसे सुंदर परिमार्जित रूप है। जिसका प्रकृति से सीधा संबंध है। यज्ञ से बादल, बादलों से जलवृष्टि एवं प्रकृति का संतुलन सबसे बड़ा लाभ है “यज्ञात् भवति पर्जन्यः””यज्ञः कर्म समुद्भवः” यज्ञ से मनाचा मला की पूर्ति के साथ व्यवहार और परमार्थ का मार्ग प्रशस्त होता है। ओजोन पर्त में बढ़ते छिद्र के कारण अत्यधिक ग्रीष्म के बढ़ते प्रभाव का शमन भी यज्ञ के धूम से ही ओजोन छिद्र का बंद होना सभी वैज्ञानिक स्वीकारते हैं।सेवा के विभिन्न प्रकार
तुलसी पक्षिन के पिये, घटै न सरिता नीर ।। दान किये धन ना घटै, जो सहाय रघुवीर ।। पानी बादै नाव में, घर में बाढ़े दाम । दोनों हाथ उलीचिये, यही सयानों काम ।।
तुलसी के कथन की सार्थकता में अपने परिश्रम सत्कर्म से अर्जित धन-द्रव्य का यज्ञ के विभिन्न कार्यक्रमों में सदुपयोग करने का यह एक स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है, इसका पूर्ण लाभ लें क्योंकि ऐसे आयोजन भगवान की कृपा बिना सुलभ नहीं होते।

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