प्रांतीय वॉच

रिहायशी इलाकों में मंडरा रहे हैं जंगली जानवरों का खतरा शहर के बीचो-बीच थाने में घुसे भालू

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  • वन विभाग के जामवंत योजना की हो रही है किरकिरी जामवंत योजना में लग रहा है ग्रहण
  • भालू परिवार के धावे से कांकेर का थाना भी नहीं बचा

अक्कू रिजवी/ कांकेर : कांकेर शहर में एक लंबे अरसे से वन्य प्राणी भालू का धावा ( जिससे अनेक व्यक्ति घायल हो चुके हैं तथा समूचे शहर के नागरिक दहशत में आ गए हैं ) अक्सर होता रहता है , लेकिन दुख की बात है कि प्रशासन विशेषकर वन विभाग जिसकी जिम्मेदारी बनती है ,वह इस खतरनाक समस्या पर बहुत कम ध्यान दे रहा है । भालू के अनेक हमले होने के पश्चात और भा ज पा के पूर्व जिलाध्यक्ष के बुरी तरह घायल होकर चेन्नई में महीनों इलाज कराने तथा एक आंख गवां देने के बावजूद शासन को या उसके वन विभाग को कोई परवाह होती नजर नहीं आ रही , जिसके कारण आज हालत यह हो गई है कि रात 9:00 बजे के बाद कोई भी अपने घरों से सड़क पर निकलने में डरते हैं। पहले भालू के हमले शहर के बाहरी मोहल्लों में होते थे अब वे अंदरूनी मोहल्लों से होते हुए शहर के मध्य तक आतंक मचाए हुए हैं जिनमें मांझा पारा सुभाष वार्ड महादेव वार्ड मस्जिद चौक कचहरी चौक पुराना बस स्टैंड राजापारा आदि में तो पहले ही भालू परिवार अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे , अब इन पशुओं ने सारी सीमाएं तोड़ कर बड़े दुस्साहस के साथ कांकेर के एकदम मध्य में स्थित पुलिस थाना कोतवाली में भी कल रात को सहपरिवार दाखिल होकर ऊधम मचाया है, जिससे नागरिकों के रक्षक पुलिस के आरक्षक भी घबरा गए थे और बड़ी मेहनत मशक्कत के बाद वे किसी तरह भालू परिवार को थाना परिसर के बाहर निकालने में सफल हुए लेकिन इसके बाद आगे उन्होंने कुछ नहीं किया और ना वन विभाग कोई दिलचस्पी ले रहा है । कुछ दिनों पूर्व संजय नगर तथा सुभाष वार्ड में पिजरा लगाकर वन विभाग ने एक दिखावटी कार्यवाही अवश्य की थी जिसमें मात्र भालू का एक बच्चा ही पिंजरे में फंस सका । वन विभाग वाले मात्र एक भालू का बच्चा पकड़ कर ही बहुत खुश हैं और उसके बाद आगे की कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जिससे आम जनता में आक्रोश है । ज्ञातव्य है  कि शिकार सन 1972 से पूर्णतः बंद है अन्यथा कांकेर में एक से एक ऐसे शिकारी पड़े हैं जो यहां से कई किलोमीटर तक भालू  तथा चीतों का सफाया करने में सक्षम है किंतु अब धाराएं भी ऐसी लग रही हैं मानो यह कोई मानव हत्या हो । वन्य पशु किसी की हत्या कर दे, वह सरकार को स्वीकार है लेकिन कोई नागरिक किसी वन्य प्राणी की हत्या कर दे उस पर 302 लगाने में सरकार को 2 मिनट भी नहीं लगते । यही स्थिति जब तक बनी रहेगी, कांकेर शहर में संकट भी बना रहेगा ।

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