प्रांतीय वॉच

जामवंत योजना के फंड का बंदर बटवारा हो गया क्या? अब तो पहले से भी ज्यादा भालुओं का आतंक, जनता परेशान

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अक्कू रिजवी/ कांकेर : शहर में लगभग सभी मोहल्लों में दिन में बंदर और रात में भालू का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है लेकिन शासन प्रशासन को इसकी कोई विशेष चिंता हो, ऐसा नहीं लगता है कुछ दिनों पूर्व एक ही बच्चा भालू पकड़ कर वन विभाग की टीम बहुत खुश है और दूसरे भालुओं के लिए पिंजरा लगाना उसे जरूरी नहीं लग रहा है,,,,, और भालू है कि अब दिन में भी कहीं कहीं दिखाई देने लगे हैं, जिनके आतंक से कांकेर की जनता का जीना खाना रहना चलना फिरना मुश्किल हो गया है यह समस्या पिछले 15 वर्षों में बहुत बढ़ गई है और पिछली सरकार ने भालू को शहर से दूर रखने हेतु फलदार वृक्षों का रोपण, छोटे-छोटे पोखरो के माध्यम से पानी की व्यवस्था इत्यादि को लेकर जामवंत योजना के नाम से एक अच्छी योजना बनाई थी और उम्मीद की जाती थी कि फलदार वृक्षों के रहने पर भालू वहीं तक सीमित रहेंगे और शहर के अंदर प्रवेश नहीं करेंगे लेकिन उस योजना का क्या हुआ और उसके लिए जो लाखों करोड़ों का फंड आया था ,उसका क्या हुआ? क्या सब बंदर बटवारा हो गया ? इस सवाल का जवाब कांकेर की जनता जानना चाहती है साथ ही जनता यह भी चाहती है कि भालू बंदर की समस्या पर अब तो कम से कम वन विभाग सक्रिय हो जाए तथा इन्हें पकड़ने और बहुत दूर के घने जंगलों में छोड़ने का इंतजाम करें। सचिव संघ द्वारा एक दिवसीय सांकेतिक रैली, धरना ,प्रदर्शन , सफलतापूर्वक संपन्न,,,
पंचायत सचिव संघ के प्रांतीय आह्वान पर पंचायत सचिव संघ अपनी एक सूत्रीय मांग : पंचायत सचिव का 2 वर्ष परीवीक्षा अवधि पश्चात शासकीय करण करने संबंधित सभी 28 जिला मुख्यालयों में प्रांत अध्यक्ष श्री तुलसी साहू जी के आव्हान पर धरना प्रदर्शन रैली निकाली गई ।
छत्तीसगढ़ प्रदेश पंचायत सचिव जो 29 विभाग के 200 प्रकार के कार्यों को जमीनी स्तर पर ईमानदारी पूर्वक कार्य का निर्वहन करते हुए राज्य शासन एवं केंद्र शासन के समस्त सेवाओं को लोकतंत्र के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य करते हैं अभी वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 के संक्रमण रोकथाम में रात दिन ड्यूटी करते कोरोना से संक्रमित होकर स्वर्गवास हो गया , जिसे बीमा योजना की सुविधा नहीं होने के कारण मृतक सचिवों के परिवार की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति खराब हो रही है ।
सचिव संघ द्वारा विगत 25 वर्षों से शासन प्रशासन को अवगत कराते कराते कई सचिव साथी बिना कुछ बीमा सुविधा के सेवानिवृत्त हो जाने के कारण आज सचिवों के परिवार की स्थिति खराब है।
पंचायत सचिव के साथ नियुक्त कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी को शासन द्वारा शासकीयकरण कर दिया गया है। केवल पंचायत सचिव शासकीयकरण से वंचित है ज्ञात हो जो कि पंचायत सचिवों की नियुक्ति 1995 में 500 रुपये मात्र प्रतिमाह से कार्य करते आ रहे हैं । 25 वर्षों से शासन प्रशासन से प्रताड़ित एवं उपेक्षित हैं । पंचायत सचिवों को कभी समय पर वेतन नहीं मिलता है ना ही एरियर्स राशि का भुगतान किया गया, ना ही ऑनलाइन वेतन भुगतान की सुविधा है ।
पंचायत सचिवों को अनुग्रह राशि केवल ₹ 25000 ही दिया जाता है , जबकि अन्य विभाग के कर्मचारियों को ₹50000 अनुग्रह राशि दिया जाता है। अंशदायी पेंशन योजना 2012 से लागू है जिनका लाभ छत्तीसगढ़ पंचायत सचिवों को आज तक नहीं मिल पा रहा है। विभागीय पद में पदोन्नति एवं क्रमोन्नति का लाभ नही मिल रहा है ।
पंचायत सचिवों को शासकीयकरण करने हेतु प्रदेश के 65 सम्मानीय विधायकों द्वारा अनुशंसा पत्र शासन को प्रेषित किया जा चुका है। इस समर्थन पत्र को माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने हेतु राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब सहित सभी 28 जिला मुख्यालयों में पंचायत सचिव संघ अपने शासकीयकरण की मांग को लेकर दिनांक 21. 12. 2020 को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन व रैली निकालकर शासन प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुका है। इसके बाद भी शासन , प्रशासन द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार नही करते हैं तो पंचायत सचिव उग्र आंदोलन करते हुए दिनांक 26.12.20 से जनपद मुख्यालय में काम बंद कलम बंद हड़ताल करते हुए ग्राम पंचायत के सभी कार्यो का बहिष्कार करेंगे । उपरोक्त जानकारी कांकेर जिला पंचायत सचिव संघ अध्यक्ष शंभू साहू तथा ब्लॉक सचिव अरुण नायक द्वारा प्रदान की गई।

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