प्रांतीय वॉच
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(डोंगरगढ़ ब्यूरो)  तिलक राम मंडावी l सरकारे आई और गई कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा दोनों ने अपने कार्यकाल पूरे किए जनता को सुविधा मुहैया कराने के वादे भी किये पर आम नागरिक को मिला केवल आश्वासन, इसके सिवा कुछ नही,मिला आखिर क्यों सुविधा देने के नाम पर मतदाता को ठगती हैं सरकारे , या फिर ये कहे कि आम जनता की सरकार के सामने कोई अहमियत ही नही जान पड़ती। एक दूसरे पर आरोप लगाने के सिवा कुछ पहल नजर नही आती ऎसा ही हाल कुछ बया कर रही है , धर्म नगरी डोंगरगढ़ की सड़कें जहाँ पर खुद ही सड़कें अपनी जर्जर हालत पर आँसू बहाते नजर आ रही है जिसके चलते आम नागरिक हो चाहे पैदल यात्री हो या मोटरसाइकिल पर सवार लोग हो दोनों ही सूरत में इस पर चलना लोगो के लिए दूभर होने के साथ ही मजबूरी बन गई हैं शहर में आज मुख्य मार्गो से लेकर हर गली मोहल्ले की सड़कें जर्जर होने के साथ ही बड़े बड़े गढ्ढे में तब्दील नजर आ रही है जो जानलेवा साबित हो रही हैं वही इन गढ्ढो को नगर पालिका कभी बजरी गिट्टी तो कभी खराब मलमा तो कभी मुरम से ढक कर मरम्मत के नाम पर दिखवा करती नजर आती हैं जो कुछ समय बात पुनः वैसी गढ्ढो में तब्दील हो जाती है अब सोचने वाली यह बात है कि मरम्मत की राशी आखिर जाती कहा है।जब कांग्रेस बीजेपी दोनों के ही कार्यकाल में आम जनता का उध्दार नही हुआ और सड़कों की हालत जस के तस बनी हुई हैं ऐसे में आखिर आम नागरिक किससे अपनी बात कहे , दुख व्यक्त करे यह चिंता का विषय बन कर रह गई हैं शहर के प्रमुख मार्गों की बात कहे जैसे भगत सिंह चौक से रेलवे स्टेशन बुधवारी पारा ,दंतेश्वरी पारा से अंदर भाग खैरागढ़ रोड ,गोलबाजार से रेलवेस्टेशन थाना चौक से जेल रोड, जैसे सड़को की दशा तो अत्यंत दयनीय हैं जितने भी नगर पालिका परिषदअध्यक्ष ,विधायक इस डोंगरगढ़ शहर की जनता ने जिस विश्वास से चुना वे सब जनता की माने तो सब पद प्रतिष्ठा और ख़ुर्शी के भूखे लालची गद्दार निकले किसी ने धूल मुक्त शहर की बात कही तो किसी ने अंडर सरकारे आई और गई कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा दोनों ने अपने कार्यकाल पूरे किए जनता को सुविधा मुहैया कराने के वादे भी किये पर आम नागरिक को मिला केवल आश्वासन, इसके सिवा कुछ नही,मिला आखिर क्यों सुविधा देने के नाम पर मतदाता को ठगती हैं सरकारे , या फिर ये कहे कि आम जनता की सरकार के सामने कोई अहमियत ही नही जान पड़ती। एक दूसरे पर आरोप लगाने के सिवा कुछ पहल नजर नही आती।ऎसा ही हाल कुछ बया कर रही है , धर्म नगरी डोंगरगढ़ की सड़कें जहाँ पर खुद ही सड़कें अपनी जर्जर हालत पर आँसू बहाते नजर आ रही है जिसके चलते आम नागरिक हो चाहे पैदल यात्री हो या मोटरसाइकिल पर सवार लोग हो दोनों ही सूरत में इस पर चलना लोगो के लिए दूभर होने के साथ ही मजबूरी बन गई हैं शहर में आज मुख्य मार्गो से लेकर हर गली मोहल्ले की सड़कें जर्जर होने के साथ ही बड़े बड़े गढ्ढे में तब्दील नजर आ रही है जो जानलेवा साबित हो रही हैं वही इन गढ्ढो को नगर पालिका कभी बजरी गिट्टी तो कभी खराब मलमा तो कभी मुरम से ढक कर मरम्मत के नाम पर दिखवा करती नजर आती हैं जो कुछ समय बात पुनः वैसी गढ्ढो में तब्दील हो जाती है अब सोचने वाली यह बात है कि मरम्मत की राशी आखिर जाती कहा है। जब कांग्रेस बीजेपी दोनों के ही कार्यकाल में आम जनता का उध्दार नही हुआ और सड़कों की हालत जस के तस बनी हुई हैं ऐसे में आखिर आम नागरिक किससे अपनी बात कहे , दुख व्यक्त करे यह चिंता का विषय बन कर रह गई हैं शहर के प्रमुख मार्गों की बात कहे जैसे भगत सिंह चौक से रेलवे स्टेशन बुधवारी पारा ,दंतेश्वरी पारा से अंदर भाग खैरागढ़ रोड ,गोलबाजार से रेलवेस्टेशन थाना चौक से जेलरोड, जैसे सड़को की दशा तो अत्यंत दयनीय हैं जितने भी नगर पालिका परिषदअध्यक्ष ,विधायक इस डोंगरगढ़ शहर की जनता ने जिस विश्वास से चुना वे सब जनता की माने तो सब पद प्रतिष्ठा और ख़ुर्शी के भूखे लालची गद्दार निकले किसी ने धूल मुक्त शहर की बात कही तो किसी ने अंडर ब्रिज को चुनावी मुद्दा बनाया तो किसी तो किसी ने नेता शहर की कायाकल्प करने की बात कही सभी ने अपने वादों से केवल जनता को लुभाने या राजनैतिक लाभ के चलते रोड , तालाब , सौदारिकरण नाली स्वच्छता को मुद्दा बनाया और कार्य किसी ने नही किया जैसे वायदे किये गए वैसे कार्य किसी ने नही किया सब के सब गद्दार निकले । आज नगर की सड़कें अपनी बदहाली पर आंसू बहाते नजर आ रही हैं। यह सब हमारेज जनप्रतिनिधियोंको नजर नही आ रही है सब के सब धृतराष्ट्र बन कर आम जनता का तमाशा देख रहे है। को चुनावी मुद्दा बनाया तो किसी तो किसी ने नेता शहर की कायाकल्प करने की बात कही सभी ने अपने वादों से केवल जनता को लुभाने या राजनैतिक लाभ के चलते रोड , तालाब , सौदारिकरण नाली स्वच्छता को मुद्दा बनाया और कार्य किसी ने नही किया जैसे वायदे किये गए  वैसे कार्य किसी ने नही किया सब के सब गद्दार निकले । आज नगर की सड़कें अपनी बदहाली पर आंसू बहाते नजर आ रही हैं। यह सब हमारे जनप्रतिनिधियों को नजर नही आ रही है सब के सब धृतराष्ट्र बन कर आम जनता का तमाशा देख रहे है।

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