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दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना बेहद शुभ, खुल जाता है किस्मत का ताला

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पांडुका।विजयादशमी का त्योहार आज अंचल में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व ही दशहरा है। जिससे पाण्डुका, अतरमरा, रजनकट्टा, कुरुद, पंडरीतराई, कुटेना, कुकदा, पोंड, पचपेड़ी, आसरा, मुरमुरा, लोहरसी, धुरसा, फुलझर, गाड़ाघाट, सांकरा आदि गांवों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिसमें सुबह दस बजे स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन पश्चात शाम को अधर्म असत्य और घमंड का प्रतीक रावण का पुतला दहन और रामलीला नाटक का मंचन भी कई गांवों में होने की संभावना है क्योंकि नाटक लीला का मंचन अब विलुप्त होने की कगार पर है इसलिए केवल औपचारिकता बनकर रह गया है केवल राम लक्ष्मण हनुमान और रावण के अभिनय करने वाले कलाकार को तैयार कर रावणवध किया जाता है और रात्रि में शोभा यात्रा निकाल कर सोन पत्ती रैनी लूट कर इस परम्परा का निर्वहन किया जाता है।

मान्यताओं के मुताबिक प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर दशहरे के दिन विजय प्राप्त की थी, तभी से इस दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाने लगा। ये दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का होता है। इस बार 24 अक्टूबर यानी आज ही के दिन दशहरा मनाया जा रहा है। मान्यताओं के मुताबिक, अगर दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो किस्मत का ताला खुल जाता है। चलिए जानते हैं इसके पीछे की मान्यता –

नीलकंठ पक्षी के दर्शन की मान्यता

ज्योतिषों के मुताबिक, अगर दशहरा के दिन आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन होते हैं तो ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति के जीवन को खुशहाल बना देता व्यक्ति की किस्मत का ताला खोल देता है। इससे व्यक्ति का भविष्य उज्जवल हो जाता है। दशहरा के दिन अगर घर के बाहर से आप निकल रहे हैं और आपको नीलकंठ पक्षी कहीं नजर आ जाए तो आप हाथ जोड़कर उसके दर्शन जरूर करें। ऐसा करना जीवन की सभी बडो को दूर करने के साथ-साथ गरीबी दूर करने के लिए भी अच्छा माना जाता है।

दशहरा

दशहरा

अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार और भगवताचार्य कोपरा निवासी हलधर नाथ जोगी ने बताया कि यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत अधर्म है धर्म का विजय यानि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम आततायी असुर लंकापति रावण का वध कर भार्या सीता जी को रावण के बंधन से मुक्त कराकर धर्म की स्थापना कराया और लंकापति के अग्रज विभीषण को लंका का राज्याभिषेक करवाया और अयोध्या लौटे थे। भगवताचार्य हलधर नाथ जोगी ने आगे बताया कि इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभ और पुण्य माना जाता है जिसके लिए लोग दिनभर घूम-घूमकर इस पक्षी का दर्शन लाभ लेते हैं। और शस्त्र पूजा करने का विधान भी इस दिन किया जाता है।

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