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बैठक के बाद 140 कांग्रेसी प्रत्याशियों के नाम पर मुहर, इनकी कट गई टिकट! देखिए पूरी सूची

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भोपाल: चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 90 में से 85 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है, तो मध्यप्रदेश की 230 में से 136 सीटों पर नाम तय हो चुका है। इधर दोनों राज्यों में कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार है। इस बीच दिल्ली में मंथन के मैराथन दौर जारी है।

गुरुवार को छत्तीसगढ़ की 90 सीटों के लिए कांग्रेस CEC की बैठक करीब साढ़े घंटे तक चली। फिर शुक्रवार को कई घंटों के मंथन के बाद सीएम भूपेश बघेल सहित 29 सीटों पर मुहर लगना बताया गया। इधर CEC की बैठक में एमपी की 230 में से अब तक लगभग 136 नाम तय कर लिए हैं और आज 60 सीटों पर चर्चा हुई। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने बताया कि एक और बैठक होगी जिसे बाद लिस्ट फाइनल हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक पहली सूची में 110 से 130 नामों का ऐलान कांग्रेस कर सकती है।

कांग्रेस में टिकट के दावेदारों का इंतजार बस खत्म होने वाला है। उन मौजूदा विधायकों की भी बेसब्री खत्म होने जा रही है, जिनके टिकट पर तलवार लटकी थी। दरअसल दिल्ली में कांग्रेस की दो दिवसीय CEC की बैठक हुई। ये माना जा रहा है कि पहली सूची के लिए में तकरीबन 110 से 130 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय हो जाएंगे। मौजूदा विधायकों में से तकरीबन 60 विधायकों के टिकट सुरक्षित हैं। वहीं कई नाम ऐसे में भी हैं जिन पर अभी भी तलवार लटकी है।

सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने इस बार तीन बड़े सर्वे करवाए हैं। सर्वे में पूर्व मंत्रियों की परफॉर्मेंस की रिपोर्ट भी है। हालांकि, सर्वे में ज्यादतर पूर्व मंत्री पास हुए हैं। यानि उनके टिकट तकरीबन फाइनल हैं, बस ऐलान की देरी है। फिलहाल कांग्रेस के सभी पूर्व मंत्रियों को टिकट देने पर सहमति बन गई है।

आधा दर्जन कांग्रेस विधायक के टिकट पर खतरा-
सुमावली से अजब सिंह कुशवाह,
बड़नगर से मुरली मोरवाल,
गोहद से मेवाराम जाटव,
कोतमा से सुनील सराफ,
कटंगी से टामलाल रघुजी सहारे
दमोह से अजय टंडन
कांतिलाल भूरिया की जगह उनके बेटे विक्रांत भूरिया को टिकट देने पर विचार
विक्रम सिंह नातीराजा बिजावर से
निधि चतुर्वेदी को राजनगर से लड़ाने पर भी विचार..
दिल्ली में आज और कल की बैठक में इन नामों पर सहमति बनने की खबर फिलहाल मिल रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि अब तक की टेबल एक्सरसाइज़ का फायदा चुनावों में ज़रुर मिलेगा और तमाम स्क्रूटनी के बाद तय हुए चेहरे ही पार्टी को सत्ता की दहलीज़ तक पहुंचाएंगे।

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