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सोम प्रदोष” तिथि को समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ ने किया पार्थिव शिवलिंग निर्माण सहित रुद्राभिषेक पूजन

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सोम प्रदोष” तिथि को समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ ने किया पार्थिव शिवलिंग निर्माण सहित रुद्राभिषेक पूजन

रायपुर। सौरभ पांडे -समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ द्वारा आज सावन माह के अंतिम सोमवार एवं “सोम‌ प्रदोष” तिथि को एक दिवसीय 11,000 पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं रुद्राभिषेक पूजन सहित महाआरती आज पुरानी बस्ती स्थित श्री महामाया देवी मंदिर के सत्संग भवन में संपन्न हुई.
सुबह 7 बजे मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग निर्माण से प्रारंभ होकर सायंकाल 4 बजे तक चले इस आयोजन में आचार्य लक्ष्मण तिवारी के मार्गदर्शन में उपस्थित आचार्यों द्वारा विधिवत रूप से वेदी पूजन, षोडशोपचार पूजन, पूजन दशांश हवन आदि कार्यक्रम संपन्न कराया गया, इसके बाद बाजे गाजे एवं आतिशबाजी के साथ विसर्जन झांकी निकाली गई जिसमें सभी पार्थिव शिवलिंगों को दूधाधारी मंदिर स्थित महाराजबंद तालाब में विसर्जित किया गया, इसके बाद भंडारा प्रसादी का वितरण भी किया गया.
मान्यता है कि सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं और कामनाएं पूरी होती हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिव साधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। शिवपुराण के अनुसार पार्थिव पूजा करने वाले साधक को भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
इस कार्यक्रम में लगभग 500 श्रद्धालु भक्तों ने सहभागिता दर्ज की. कार्यक्रम के लिए संपूर्ण पूजन सामग्री संगठन द्वारा उपलब्ध ‌कराई गयी थी, यह पूजा श्रद्धालुओं के लिए पूर्णतया निःशुल्क थी.
इस आयोजन में रायपुर जिला, शहर सहित दुर्ग, बिलासपुर, महासमुंद, रायगढ़ के सनातन धर्मानुरागी श्रद्धालु सम्मिलित हुये.
इस कार्यक्रम में श्री महामाया देवी मंदिर सार्वजनिक न्यास के व्यासनारायण तिवारी, विजयशंकर अग्रवाल, दुर्गा प्रसाद पाठक, महेन्द्र पांडेय, उपेन्द्र शुक्ला, विजय झा सहित समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ की श्रीमती प्रमिला तिवारी, डा. श्रीमती आरती उपाध्याय, श्रीमती पद्मा दीवान, श्रीमती खुशबू शर्मा, श्रीमती कालिंद्री उपाध्याय, श्रीमती शशि द्विवेदी तथा शैलेंद्र रिछारिया, विवेक दुबे, गौरव मिश्रा, दीपक शुक्ला, चक्रेश तिवारी, गोपालधर दीवान, संजय शर्मा एवं डा.भावेश शुक्ला “पराशर” का विशेष योगदान रहा.

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