बिलासपुर

शहर में डायरिया से हुई दूसरी मौत — आखिरकार स्वास्थ्य अमला जागा मोहल्ले में शिविर लगाकर लोगों का इलाज शुरू

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शहर में डायरिया से हुई दूसरी मौत —
आखिरकार स्वास्थ्य अमला जागा मोहल्ले में शिविर लगाकर लोगों का इलाज शुरू

बिलासपुर/सुरेश सिंह बैस -स्थानीय चांटीडीह व अन्य मोहल्ले में डायरिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है।डायरिया के चलते चांटीडीह इलाके की बुजुर्ग महिला कमला मिश्रा से शुरू हुई मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। डायरिया के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती एक और बुजुर्ग की जान शनिवार को चली गई। डायरिया के चलते मोहम्मद अनीस कुरैशी की भी मौत हो गई है। अब तक नगर में डायरिया से 2 मौत हो चुकी है।
‌ डायरिया से दो-दो मौत हो जाने के बाद आखिरकार प्रशासन की नींद खुली है। हालांकि स्थिति नियंत्रण में आने के बाद प्रशासन व स्वास्थ्य तंत्र एक बार फिर से हमेशा की तरह नींद में चली जाएगी। जैसा कि हमेशा से होता आया है। नगर के चांटीडीह इलाके में लगभग हर घर में मरीज मिलने की बात सामने आई है । एक दिन पहले बुजुर्ग महिला 65 वर्षीय कमला मिश्रा की मौत डायरिया के चलते हो गई। इसके बाद आनन फानन में नगर निगम और स्वास्थ विभाग की टीम चांटीडीह पहुंची। बताया जा रहा है कि यहां 52 घरों का सर्वे किया गया, जहां 40 से ज्यादा व्यक्ति डायरिया से बीमार मिले, जिन्हें इलाज के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती किया गया है।
इधर चांटीडीह इलाके में डायरिया फैलने और मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की खबर पाकर विधायक शैलेश पांडे खुद अस्पताल पहुंच गए। और उन्होंने मरीजों का हालचाल जाना। साथ ही वार्ड में व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। चांटीडीह जैसे सघन बस्ती में बरसों पुरानी पेयजल की पाइप लाइन नहीं बदली गई। बरसात से पहले इन्हें दुरुस्त करने की आवश्यकता थी, लेकिन अधिकांश घरों में नाली से गुजर कर पानी की पाइप लाइन पहुंच रही है। इसी प्रदूषित पानी के चलते हर बार की तरह इस बार भी डायरिया फैला है।
हर साल डायरिया फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है। लोगों को दवा देती है एवं उनका इलाज किया जाता है। लेकिन इसके मूल कारण को जड़ से खत्म करने का प्रयास कभी नहीं किया जाता। बरसात के शुरुआत में ही चांटीडीह से डायरिया की शुरुआत हुई है। हर साल शहर के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां डायरिया का प्रकोप देखा जाता है। बरसों पुरानी जर्जर पाइप लाइन बरसात में जानलेवा बन जाते हैं। जिन्हें सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। हैरानी की बात है कि बिलासपुर जैसे प्रदेश के सबसे बड़े दूसरे शहर में पानी की पाइप लाइन बदलने के लिए भी पैसे नहीं है। जबकि करोड़ों रुपए के पाइपलाइन सीवरेज के नाम पर जमीन के भीतर बेवजह दबा दिए गए। अंडरग्राउंड सीवरेज की बजाय अगर पूरे शहर में पानी की पाइप लाइन बदली जाती तो वह लोगों के लिए लाभदायक हो सकती थी।
इधर सीएमएचओ के साथ पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घरों का सर्वे किया। और इस दौरान पानी और भोजन के सैंपल लिए। माना जा रहा है कि यहां दूषित पानी से ही डायरिया फैला है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की टीम की ड्यूटी मोहल्ले में लगाई गई है जो मौके पर ही बीमारों का इलाज कर रही है। वहीं गंभीर मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा रहा है।
शुक्रवार शाम को मरीजों का हाल जानने सिम्स पहुंचे विधायक शैलेश पांडे ने चिकित्सकों से चर्चा कर बेहतर उपचार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर निगमायुक्त कुणाल दुदावत से भी चर्चा की। पिछले साल भी नगर के तालापारा, तार बाहर, टिकरापारा में डायरिया ने कहर बरपाया था और 7 लोगों की मौत हो गई थी। दर्जनों लोग बीमार पड़े थे, लेकिन फिर भी इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती गई। परिणामस्वरूप इस साल भी डायरिया का प्रकोप देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां हर घर में उल्टी-दस्त की शिकायत है। डायरिया की प्रमुख वजह दूषित पानी है। जब तक शहर से पुरानी पाइप लाइन को बदलकर नई पाइप लाइन नहीं बिछाई जाती और पाइप लाइन को नालियों से बाहर नहीं निकाला जाता यह समस्या यूं ही हर बार सामने आएगी।

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