रायपुर वॉच

आप के प्रदेश सहप्रभारी हरदीप ने कहा – कांग्रेस अंतर्कलह से जूझती हुई पार्टी, मरकाम के तेवर से संगठन में बढ़ी तकरार

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रायपुर. प्रदेश कांग्रेस महामंत्रियों की नियुक्तियां निरस्त करने पर पंजाब के विधायक एवं आप के प्रदेश सहप्रभारी हरदीप सिंह मुंडिया ने कांग्रेस पर सवाल उठाए हैं. हरदीप मुंडिया ने कहा, इस बार ये गुटबाजी किसी मंत्रियों के बीच नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के बीच देखने को मिला है. मरकाम के कुछ ही घंटों पहले जारी की गई नई नियुक्तियों को प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने रद्द कर दिया. इससे स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस अंतर्कलह से जूझती हुई पार्टी है.मुंडिया ने कहा, मरकाम के तेवर से संगठन में तकरार बढ़ गई है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी में गुटबाजी अपने चरम पर है. इससे कांग्रेस की अस्थिरता और अनिश्चितता उजागर होती है. कांग्रेस की नईया 2023 में डूबने का ये बड़ा संकेत है. कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है. इसका ताजातरीन उदाहरण कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सैलजा के आदेश की समीक्षा की बात कहकर मोहन मरकाम ने साफ कर दिया कि वह प्रभारी के आदेश को तत्काल मानने के लिए तैयार नहीं हैं.

मुंडिया ने कहा कि भूपेश सरकार के दर्जनभर मंत्री और 20 से अधिक विधायक नाराज चल रहे हैं. ये सभी अलग-अलग पार्टियों के संपर्क में हैं. कांग्रेस के कई बड़े नेता आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं. आने वाले दिनों में कांग्रेस में सियासी भूकंप आने वाला है. इसकी एक झलक बीते दिनों कुमारी सैलजा और मोहन मरकाम के बीच चले सियासी टकराव से गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है. आधे से अधिक विधायक सीएम भूपेश बघेल से नाराज चल रहे हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस आम आदमी पार्टी के संगठन पर सवाल खड़े कर रही थी, लेकिन आज इनका संगठन खुद बिखर रहा है और पार्टी के अंदर की गुटबाजी को संभाल नहीं पा रहे हैं.

सहप्रभारी ने कहा, पूरे कार्यकाल के दौरान कांग्रेस अंतर्कलह से जूझती रही है. अपने कार्यकाल में कांग्रेस ने प्रदेश की जनता के लिए कोई काम नहीं किया. ये सिर्फ कुर्सी के लिए लड़ते रह गए. कुर्सी की लड़ाई में प्रदेश की जनता पिसती रही. पूरे 5 सालों तक भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दिल्ली का दौरा करते रह गए. मुख्यमंत्री पद के लिए 2018 चुनाव के बाद से ही दोनों नेता लड़ते रहे और चुनाव आते ही एक बार फिर पद के लिए नेताओं में सियासी तकरार बढ़ गया है.

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