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अन्नदाताओं को मिला राजीव गांधी किसान न्याय योजना का साथ, किसी ने तैयार किया खेत तो किसी को बेटी की शादी की चिन्ता हुई दूर

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आफताब आलम/ बलरामपुर : जरूरत के समय ही मद्द करने वाला सबसे बड़ा साथी होता है, पुटसुरा में अपने घर के आंगन में बैठी प्रभावती मुस्कुराते हुए ये बाते कह रही हैं। प्रभावती को पिछले खरीफ वर्ष में बेचे गये लगभग 30 क्विंटल धान के लिए राजीव गांधी न्याय योजना की तीसरी किस्त भी प्राप्त हो चुकी है। प्रभावती बताती हैं कि हमारी आजीविका पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर है तथा हर किसान की आशा होती है कि उसे फसल का उचित दाम मिले। राजीव गांधी योजना ने किसानों के इसी आशा को पूरा किया है। न्याय योजना से हमे जो पैसे मिले हैं उसे बेटी की शादी के लिए बचाकर रखेंगे। हर मां-बाप की तरह बिटिया की शादी को लेकर हमारी भी इच्छाएं, अकांक्षाएं हैं। लेकिन पैसों की चिंता सता रही थी, राज्य शासन ने किसान न्याय योजना के माध्यम से अपना वादा पूरा कर चिन्ता दूर की है और किसानों के साथ वास्तव में न्याय किया है। इससे अन्नदाताओं का शासन के प्रति विश्वास और बढ़ा है। प्रभावती ने बताया कि कृषकों ने न्याय योजना से मिली राशि को अपनी जरूरतों के हिसाब से खर्च किया है। किसी ने खेती के लिए जमीन तैयार की तो किसी ने गाड़ी खरीद ली और कोई अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे इकट्ठा कर रहा है। किसान न्याय योजना के बारे में ऐसे ही कुछ बाते सागरपुर में रहने वाले कृषक सपन बताते हैं कि उन्होंने साढे़ पांच एकड़ में धान की फसल ली थी। घोषित समर्थन मुल्य पर धान की खरीदी न होने पर सपन चिन्तित थे किन्तु राज्य शासन ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से धान का उचित मुल्य देकर अपना वादा पूरा किया। उन्होंने बताया कि अब तक न्याय योजना के तहत उन्हें 13 हजार 546 रूपये की तीन किस्ते प्राप्त हो चुकी है। कृषक सपन ने बताया कि राजीव गांधी न्याय योजना की किस्त समय-समय पर मिलने से किसानों को फायदा हुआ है। किसान न्याय योजना किसी के लिए त्यौहार की खुशी लेकर आई तो किसी ने इन पैसों से अपने खेती को विस्तार दिया। बुआई से लेकर मिसाई तक किसानों ने अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे खर्च किये हैं। मंैने किसान न्याय योजना से मिले पैसों से बुआई की तथा नया खेत तैयार किया। इसमें से बचे कुछ पैसों को बच्चों के लिए नये व्यवसाय में भी खर्च किया है। सपन एक प्रगतिशील किसान है जो खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय के लिए मछली पालन, कुक्कुट पालन तथा दुग्ध उत्पादन का भी व्यवसाय कर रहे हैं। सपन ने शासन को कृषक हितैषी बताते हुए धन्यवाद ज्ञापित कर कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि न्याय का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

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