रायपुर वॉच

तिरछी नजर 👀 : महामहिम फिर जिलों के दौरे पर….…. ✒️✒️….

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महामहिम राज्यपाल रामेन डेका एक बार छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी 33 जिलों का दौरा कर चुके हैं। अफसरों की बैठक में विकास कार्यो की समीक्षा करने के बाद बकायदा बुकलेट भी छपवाया गया। अब 5 अक्टूबर से फिर राज्यपाल का शुरू हो गया है। दौरे की शुरुवात मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रभाव क्षेत्र सरगुजा, कोरिया जिले से शुरू हुआ। इन दोनों जिलों की स्वास्थ्य शिक्षा जैसे मुलभूत समस्याओं पर अफसरों के साथ बैठक लेकर राजधानी लौट चुके है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार कोई राज्यपाल प्रदेश भर के दौरा कर स्थितियों को जानने का प्रयास किया है। इस दौरे को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी अलग-अलग तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं।

सीएस सचिवालय की धमक..

विकासशील के मुख्य सचिव पदभार ग्रहण के बाद मुख्य सचिव कार्यालय में हलचल बढ़ गई है। सीएस आफिस की छवि सुधारने की कवायद चल रही है। पहली बार सीएस दफ्तर में सुबह 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक काम चल रहा है। अफसरों को पहले दिन से संदेश दे दिया गया है कि काम अधिक कर टारगेट पूरा करना है। अब इस संदेश के बाद सीनियर अफसरों की क्या भूमिका रहती है, इस पर नजर लगी है।

घोटाले की जांच में गति आएगी…

घपले और घोटाले के चलते जांच प्रक्रियाओं में आगामी दिनों और गति आने की अटकलें लग रही है। अलग-अलग मामलों के चलते जांच में सबसे बड़ा खुलासा आबकारी घोटाले में होने की संभावनाएं जताई जा रही है। चार्जशीट में कई नामों का उल्लेख है लेकिन अभी तक जांच पड़ताल की दिशा में कई रुकावटें थी जिससे सुलझाकर अभियान चलाया जा सकता है।इसकी शिकायत दिल्ली तक हुई है। इन शिकायतों के बाद जमानत में छुटे कई और बड़े आरोपी भी धरे जा सकते हैं।

दूरबीन लेकर खोज रहें खाद

छत्तीसगढ़ में खाद की कमी को लेकर हाहाकार मचने पर पिछले माह पांच मंत्री दिल्ली गए। दिल्ली जाकर केन्द्रीय मंत्री से खाद उपलब्ध कराने की मांग की। उसके बाद खबरें आई की डबल इंजन की सरकार के चलते डेढ़ लाख टन खाद की स्वीकृति मिल गयी है। इस खबर से छत्तीसगढ़ के किसान खुश हो गये। एक माह निकलने जा रहा है । खाद की समस्या गांव में बनी हुई है। खबरें मीडिया में सुर्खियां बन गयी मगर खाद एक बोरी भी नहीं पहुंच पाई है। दुरबीन लेकर किसान गोदाम-गोदाम घूम रहे हैं हर जगह खाद का संकट का रोना-रोया जा रहा है। पानी अधिक गिरने से किसान कीट का प्रकोप से किसान अलग  परेशान है।

आईपीएस की लंबी सूची जल्द

आईपीएस अफसरों के फेरबदल की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। करीब एक दर्जन आईपीएस अधिकारी जो अभी विभिन्न जिलों और मुख्यालयों में पदस्थ हैं उनकी पोस्टिंग में बदलाव संभव है।
चर्चा है कि पहले दो जिले में एसपी रह चुके सुजीत कुमार (2010) को कोरबा, प्रशांत कुमार ठाकुर (2011) को पीएचक्यू, जितेन्द्र शुक्ला (2013) को राजनांदगांव, सिद्धार्थ तिवारी (2015) को कवर्धा, उदय किरण (2015) को सूरजपुर, सुनील शर्मा (2017) को महासमुंद और अंकिता शर्मा (2018) को धमतरी लाया जा सकता है।
यही नहीं,रायगढ़ के लिए त्रिलोक बंसल (2016 बैच) और मोहित गर्ग (2013 बैच) का नाम है। दिव्यांग पटेल (2014 बैच) को छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) की किसी बटालियन में कमांडेंट पद पर पदस्थ किया जा सकता है।
मुंगेली एसपी भोजराम पटेल (2013) और बलरामपुर एसपी वैभव रमणलाल बैंकर (2019) – हालिया विवादों के बावजूद आगामी आदेश पर्यन्त तक अपनी जगह पर बने रह सकते हैं।
आशुतोष सिंह (2012) केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। धर्मेंद्र सिंह छवई (2012) और सूरज सिंह परिहार (2015) को मुख्यालय या अन्य पदस्थापना मिलने की खबर है।
एसएसपी रायपुर डॉ. लाल उमेद सिंह (2011), एसएसपी दुर्ग विजय अग्रवाल (2012), एसएसपी बिलासपुर रजनीश सिंह (2012), एसएसपी सुरगुजा राजेश अग्रवाल (2012),एसपी बेमेतरा रामकृष्ण साहू (2012) और एसपी जांजगीर विजय पांडे (2016) यथावत रह सकते हैं।

प्रशासनिक फेरबदल

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट पर सबकी नजर है। विकासशील के मुख्यसचिव बनने के बाद होने वाली कलेक्टर कांफ्रेस में पहली बार वन महकमे ने डीएफओ को आमंत्रित किया गया है। नक्सल आपरेशन के बाद बस्तर क्षेत्र में वन विभाग की भूमिकाएं बढ़ाने का फैसला हो सकता है। फेरबदल के बाद कई जिलों में कलेक्टर, एसपी बदले जा सकते हैं। पदस्थ अधिकारियों की दीपावली खराब नहीं होगी ऐसी उम्मीद की जा रही है।

अजय के बयान से भाजपा ने बनाई दूरी

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर का दो अजीबो गरीब बयान आने के बाद पार्टी ने अपने आप को अलग कर लिया है। अपने एक बयान में अजय चंद्राकर ने कहा है कि कांग्रेसियों को दिल्ली में चांटने और नीचे में काटने की आदत है। वहीं दूसरे बयान में पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस बाबा को एक दिन का मुख्यमंत्री बनाने का आफर दिया है। जिसे टीएस बाबा ने स्वीकार भी कर लिया है। दोनों ही बयान सोशल मीडिया में खूब चल रहे हैं पर भाजपा ने इस बयान से अलग कर लिया है।

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