दशकों से बसे हजारों परिवारों को वन भूमि खाली करने का आदेश, कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं
बिलासपुर। फदहाखार क्षेत्र में वन विभाग द्वारा जमीन खाली कराने को लेकर जारी किए गए नोटिस ने इलाके में भारी विवाद खड़ा कर दिया है। वर्षों से यहां निवास कर रहे करीब 10 हजार लोगों के सिर पर अब बेदखली की तलवार लटक रही है। वन विभाग ने एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का अल्टीमेटम जारी किया है, जिससे स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश और असमंजस की स्थिति बन गई है।
निवासियों का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिस जमीन पर वे बसे हैं, वह वन विभाग की है, नगर निगम की या ग्राम पंचायत की। अब तक न कोई आधिकारिक सीमांकन हुआ है और न ही विभाग की ओर से कोई ठोस दस्तावेज सार्वजनिक किए गए हैं। लोगों का आरोप है कि समय-समय पर नोटिस थमा दिए जाते हैं, लेकिन समाधान की दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि वन अधिकार कानून के तहत आवेदन करने की बात कही जाती रही है, मगर इस प्रक्रिया को लेकर न तो उन्हें समुचित मार्गदर्शन दिया गया और न ही उनके अधिकारों को लेकर कोई स्पष्टता दिखाई गई। उनका सवाल है कि अगर यह भूमि वास्तव में वन क्षेत्र थी, तो फिर प्रशासन ने दशकों से यहां हजारों परिवारों को बसने क्यों दिया?
पूरे मामले में वन विभाग के डीएफओ, एसडीओ और सर्किल प्रभारी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। न तो वे मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे हैं और न ही प्रभावित परिवारों को कानूनी स्थिति की कोई जानकारी दी जा रही है। इससे नाराजगी और असुरक्षा का माहौल गहराता जा रहा है।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और प्रभावित परिवारों को कानूनी सुरक्षा और अधिकार दिलाने की मांग की है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर किस दिशा में कदम उठाता है।