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‘उन्होंने मेरा शारीरिक और मानसिक शोषण किया’: रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर आजाद पर लगाया गंभीर आरोप

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Chandrashekhar Azad: भीम आर्मी के संस्थापक और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद एक गंभीर विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं. इंदौर की पीएचडी स्कॉलर डॉ. रोहिणी घावरी ने उन पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया है. रोहिणी का दावा है कि चंद्रशेखर ने न केवल उनका, बल्कि कई अन्य लड़कियों का भी शोषण किया है. सोशल मीडिया पर अपने आरोपों के बाद अब उन्होंने इस मामले को कोर्ट तक ले जाने का ऐलान किया है. इस पूरे मामले में चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह महिला सम्मान से जुड़ा विषय है और मैं इसका जवाब कोर्ट में दूंगा.”

चंद्रशेखर आजाद पर गंभीर आरोप

“चुप इसलिए रही क्योंकि…”

डॉ. रोहिणी ने कहा कि वह अब तक इस मामले में इसलिए चुप थीं क्योंकि उन्हें डर था कि लोकसभा चुनाव के दौरान इससे चंद्रशेखर को नुकसान हो सकता है. लेकिन अब जब उन पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं, तो उन्होंने सामने आकर सच्चाई बताने का फैसला किया.

उन्होंने यह भी दावा किया कि जब वह चंद्रशेखर के साथ रिश्ते में थीं, तब उन्हें पता चला कि वह पहले से शादीशुदा हैं. इसके अलावा, कई अन्य लड़कियों ने भी उनसे संपर्क कर चंद्रशेखर द्वारा शोषण की बात बताई है.

बृजभूषण शरण सिंह ने साधा निशाना

इस पूरे विवाद में बीजेपी नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह भी कूद पड़े हैं. उन्होंने चंद्रशेखर पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब उन पर आरोप लगे थे, तब चंद्रशेखर ने उन्हें घसीटने की बात कही थी. अब जब एक दलित बेटी ने चंद्रशेखर पर आरोप लगाए हैं, तो वे चुप क्यों हैं?

बृजभूषण ने कहा, “सरकार को इस मामले में चुप्पी नहीं साधनी चाहिए. दलित बेटी की आवाज को दबाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.”* उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि इस मामले को उचित महत्व दिया जाए.

कौन हैं डॉ. रोहिणी घावरी?

डॉ. रोहिणी एक पीएचडी स्कॉलर हैं और स्विट्जरलैंड में रहती हैं. वह एक एनजीओ चलाती हैं और एक अस्पताल सफाईकर्मी की बेटी हैं. 2019 में उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 1 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी. वह तब चर्चा में आई थीं जब उन्होंने यूनाइटेड नेशंस में अपनी स्पीच की शुरुआत “जय श्री राम” से की थी.

अब देखना होगा कि यह मामला राजनीतिक और सामाजिक तौर पर क्या मोड़ लेता है. क्या चंद्रशेखर आजाद पर कानूनी शिकंजा कसता है या वह आरोपों से खुद को निर्दोष साबित कर पाते हैं?

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