
मांगे पूरी नही होने पर परिजनों के साथ मिलकर किया कामबंद आंदोलन का ऐलान
बिलासपुर।सीपत ग्राम कौड़िया के किसानों ने एनटीपीसी सीपत से इस वर्ष दलदल भूमि की मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग को लेकर बिलासपुर कलेक्टर , मस्तूरी एसडीएम , सीपत तहसीलदार एवं एनटीपीसी प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा है।प्रभावित किसानों ने बताया कि कौड़िया में उनकी नम्बरी भूमि एनटीपीसी स्टापडेम से लगी हुई है, जहां तीन जगह से पानी रिसाव के चलते उनकी कृषि भूमि पूरी तरह से दलदली हो गई है। जिसका एनटीपीसी प्रबंधन सर्वे कराने के बाद वर्ष 2011 से पिछले सत्र 2023 –24 तक कौड़िया के प्रभावित किसानों मुआवजा राशि प्रदान की गई। पर अचानक इस वर्ष दलदल भूमि की सूची से बिना सूचना के उनका नाम काट दिया गया। जिससे किसान बेहद संकट में है। क्योंकि न तो वे ऐसे दलदली भूमि पर फसल ले पा रहे है न ही उनको प्रबंधन के द्वारा इसकी मुआवजा राशि दी जा रही है। किसानों के अनुसार उनकी स्थिति ऐसी निर्मित हो गई है कि उनको एक दूसरे से उधार लेकर अपना जीवनयापन करना पड़ रहा है। परियोजना प्रभावित किसानों ने बताया कि प्रबंधन के द्वारा लगभग पांच वर्ष पूर्व उन्हें यह मौखिक आश्वासन दिया गया था कि यदि किसी स्थिति में किसानों को दलदल भूमि का मुआवजा नही मिलता है तो ऐसी स्थिति में उनके कृषि भूमि को खेती करने लायक बनाकर दिया जाएगा। किसानों का कहना है कि उनको सत्र 2024 — 25 का मुआवजा राशि प्रदान किया जाए। इसके अलावा प्रबंधन से उनकी यह भी मांग है कि आगामी वर्ष 2025 — 26 की भी उन्हें दलदल भूमि का मुआवजा राशि प्रदान किया जाए। किसानों ने अनुसार वर्तमान में भी अभी उनकी दलदली भूमि कृषि करने के लायक नही बन पाया है , कृषि का समय व बरसात कॉफी नजदीक है। किसानों ने कलेक्टर को दिए ज्ञापन में कहा है कि उनकी दलदली भूमि को कृषि करने योग्य बनाकर दिया जाए अन्यथा मुआवजा राशि प्रदान की जाए। पीड़ित सभी किसानों ने एक स्वर में कहा है यदि किसी कारणवश प्रबंधन हमारी मांगो को पूरी नही करता तो वे अपने परिवारों के साथ मिलकर आने वाले दिनों में अनिश्चितकालीन कामबंद आंदोलन किया जाएगा। मांग करने वालों में रामप्रसाद पटेल , जगन्नाथ वस्त्रकार , जागेश्वर , संतोष राठौर , रूपसिंह , लखन , परदेशी , अश्वनी वस्त्रकार सहित लगभग पचास किसान शामिल रहे।
प्रबंधन के साथ राजस्व विभाग की टीम के द्वारा सर्वे का कार्य किया गया है , सर्वे का कार्य सितंबर से जनवरी के बीच मे होता है। चूंकि यही समय सर्वे कार्य के लिए उपयुक्त होता है। सर्वे के आधार पर कृषि भूमि का आँकलन कर रिपोर्ट तैयार किया गया है।
सोनू अग्रवाल
तहसीलदार , सीपत