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श्री शिशु भवन हॉस्पिटल में दुर्लभ बीमारी (TEF) एवं (DA)से ग्रसित नवजात बच्ची को मिला नया जीवन

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श्री शिशु भवन हॉस्पिटल में दुर्लभ बीमारी (TEF) एवं (DA)से ग्रसित नवजात बच्ची को मिला नया जीवन

बिलापुर। दंपत्ति लोकेश यादव और मनीषा यादव की नवजात बेटी जो एक दुर्लभ बीमारी ट्रेकियोसो फ़ेजियल फिस्टुला एवं डुयोडेनल एट्रेसिया से ग्रसित थी अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी है।दरसल सारंगढ़ क्षेत्र के ग्राम
बिलाईगढ़, मालदी के पास रहने वाले यादव परिवार में नवजात का जन्म 4 मार्च 2025 को घर पर हुआ, लेकिन जन्म के तुरंत बाद से ही उसको सांस लेने में तकलीफ थी एवं बच्ची देर से रोई, जिसकी वजह से उसको झटके आ रहे थे। नवजात का वजन जन्म के समय 2 किलोग्राम था। परिजनों द्वारा नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे 05 मार्च को श्री शिशु भवन हॉस्पिटल ईदगाह रोड मध्य नगरी चौक में भर्ती कराया जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू किया।यह जटिल बीमारी TEF / DAदोनों समस्या एक ही नवजात पर पाया जाना अत्यंत दुर्लभ होता हैं। दोनों बीमारी साथ होने पर बचने की संभावना कम ही होती है।

श्री शिशु भवन के वरिष्ठ डॉक्टर श्रीकांत गिरी ने बताया कि एक्स-रे करने पर पता चला नवजात को TEF /DA नामक बीमारी थी दोनों बीमारियां एक ही नवजात में होने की संभावना दुर्लभ ही होती है TEF बीमारी 5000 में 1को होने की संभावना रहती है DA 10000 में 1 को होने की संभावना रहती है। ट्रेकियोसो फ़ेजियल फिस्टुला (TEF) जो आपकी अन्न प्रणाली और श्वास नली के बीच एक असामान्य संबंध के कारण यह जन्मजात बीमारी होती है, यह बीमारी भ्रूण के विकास के दौरान होती है। दूसरा ड्योडनल एट्रेसिया जो एक जन्मजात छोटी आंत रुकावट है यह छोटी आंत के पहले डुयोडेनम की एक रुकावट है जो जन्म से पहले ही बन जाती है।इस बीमारी का कारण ड्योडनल एट्रेसिया है जो आमतौर पर भ्रूण के विकास के दौरान आंत मार्ग के पुनरसंयोजन की विफलता से उत्पन्न होता है। दोनों बीमारी एक ही नवजात में होना बहुत ही दुर्लभ होता है। इस स्थिति में बच्चों के ठीक होने की संभावना मात्र 20 प्रतिशत ही होती है । इसके बावजूद डॉ. श्रीकांत गिरी, डॉ अनुराग कुमार, डॉ. रवि द्विवेदी, डॉ. रोशन शुक्ला, डॉ. प्रणव अंधारे,डॉ. मोनिका जयसवाल, डॉ. मेघा गोयल, और उनकी पूरी मेडिकल टीम ने दो चरणों में ऑपरेशन किया। पहले चरण 7 मार्च को एवं दूसरा चरण 8 मार्च को सफलतापूर्वक सर्जरी की गई जो की बेहद जटिल प्रक्रिया थी। ऑपरेशन के पश्चात नवजात बच्ची धीरे-धीरे स्वस्थ होती गयी धीरे-धीरे सांस लेने में सुधार होता गया जिसे 17 दिन बाद वेंटिलेटर से बाहर किया गया। इलाज के दौरान आहार (दूध) ट्यूब द्वारा डालकर दिया गया अभी नवजात स्वस्थ होकर, रूम में अपनी मां के साथ हैं, जहां नवजात स्तनपान कर रही है जो अब 24 दिन बाद पूर्णतया स्वस्थ है।नवजात के माता-पिता ने श्री शिशु भवन और डॉक्टरो का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा हम समय पर श्री शिशु भवन पहुंचे जहां डॉक्टर श्रीकांत गिरी एवं उनकी पूरी टीम के अथक प्रयास से हमारे घर में फिर से खुशियां लौट आई है। नवजात के इस सुधार से श्री शिशु भवन की चिकित्सकी दक्षता और सेवा भाव का एक और उदाहरण सामने आया है जिससे अनेक अभिभावकों को उम्मीद की नई रोशनी मिली है। यह जानकारी श्री शिशु भवन के प्रबंधक नवल वर्मा द्वारा दी गई है।

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