आरएसएस के राष्ट्रीय पदाधिकारी अरुण कुमार रायपुर आए, तो उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस के गृह ग्राम गोढ़ी में बैठक ली। यह बैठक एक स्कूल में हुई। इसमें भाजपा संगठन के दो प्रमुख नेता मौजूद थे।
बताते हैं कि बैठक के पहले संवैधानिक पद पर आसीन एक प्रमुख नेता, अरुण कुमार से मिलने आरएसएस दफ्तर पहुंचे थे।
आरएसएस की बैठक को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। चर्चा है कि आरएसएस का सरकार के कामकाज में दखल हो सकता है। इसकी झलक कैबिनेट प्रस्तावित फेरबदल में भी देखने को मिल सकती है।
निगम-मंडलों की अगली सूची के अलावा प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी के गठन में भी आरएसएस की पसंद को महत्व दिया जा सकता है। कुल मिलाकर बैठक को लेकर काफी हलचल रही है।
तेंदूपत्ता घोटाला और मनीष कुंजाम…
तेंदूपत्ता बोनस घोटाले पर बस्तर की राजनीति गरमाई हुई है। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने करीब 7 करोड़ के बोनस घोटाले में संलिप्तता पर डीएफओ अशोक पटेल को गिरफ्तार किया है। पटेल की गिरफ्तारी पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। मगर ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम के यहां छापेमारी की, तो लोग चौंक गए।
सुकमा अकेला जिला है जहां भाजपा को जिला पंचायत चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यहां कांग्रेस और सीपीआई ने मिलकर जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया।
चर्चा है कि सुकमा में भाजपा ने काफी मेहनत भी की थी। रायपुर के एक बड़े वन अफसर की जगदलपुर के वन विभाग के संस्थान में मनीष कुंजाम के साथ बैठक भी हुई।
कुंजाम के साथ बैठक में क्या हुआ,यह तो पता नहीं चला है। मगर राजनीति से जुड़े लोग सुकमा पंचायत चुनाव से जोड़कर कर देख रहे हैं। और अब कुंजाम जांच के घेरे में आए हैं, तो काफी कुछ कहा जा रहा है। आगे क्या होता है, यह देखना है।
ट्रांसफर पर चर्चा
आईएएस तबादले की जंबो लिस्ट निकली है। इसमें दिग्गज नेताओं की पसंद को ध्यान में रखा गया है। स्पीकर डॉ रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में डां सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे को कलेक्टर बना कर भेजा गया है।
डॉ भुरे भूपेश सरकार में रायपुर और दुर्ग कलेक्टर रह चुके हैं। भाजपा ने चुनाव से पहले उनके खिलाफ शिकायत भी की थी। मगर उनकी नई पोस्टिंग को लेकर काफी चर्चा है। ऐसा कहा जा रहा है कि स्पीकर की सहमति के बाद डॉ भुरे को राजनांदगांव भेजा गया है। लिस्ट की काफी चर्चा हो रही है।
महिला अफसरों की धमक
प्रदेश की तीन महिला अफसरों ने प्रशासन में धमक दिखाई है। इससे सरकार के भीतर हलचल भी है। ये महिला एसीएस रेणु पिल्ले, ऋचा शर्मा और निहारिका बारिक सिंह हैं।
रेणु पिल्ले नियम से बाहर कभी कोई काम नहीं किया, तो ऋचा शर्मा भ्रष्टाचार के मामलों पर काफी सख्त रही है। तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में संलिप्तता पर डीएफओ अशोक पटेल को सस्पेंड करने के लिए उन्होंने ही पहल की थी।
राइस मिलरों को भी उन्होंने नाको चने चबवा दिया। और कुछ इसी तरह साफ सुथरी काम के लिए पंचायत विभाग की मुखिया निहारिका बारिक सिंह भी जानी जाती है। इन तीनों अफसरों से सरकार की साख भी बन रही है।
सादगी की सीख, लेकिन…
भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री शिवप्रकाश ने हफ्ते भर पहले निगम-मंडलों के नवनियुक्त अध्यक्षों को सादगी से काम करने की सीख दी थी लेकिन हुआ ठीक इसके उल्टा।
निगम-मंडलों के नव नियुक्त अध्यक्षों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और तामझाम से पदभार ग्रहण किया। खास बात यह है कि दो-तीन को छोड़ दें, तो ज्यादातर निगम मंडलों की माली हालत खराब है। कुछ तो दिवालिया होने की कगार पर है। नव नियुक्त अध्यक्ष काम कैसे करते हैं, यह देखना है।