नई दिल्ली: सफलता भी हर किसी के कदम नहीं चूमती है. कड़े हार्ड वर्क के साथ थोड़ी किस्मत भी इंसान को सफल बनाने का काम करती है. सफल होने के बाद सफलता को बरकरार रखना भी हर किसी के वश की बात नहीं होती है. फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो कई स्टार्स ऐसे हैं, जिन्हें रातोंरात स्टारडम मिला और देखते ही देखते वह करोड़पति बन गए, लेकिन कई एक्टर्स अपनी कामयाबी को पचा नहीं पाए और सड़क पर आ गए. इनमें से एक नाम है 40 और 50 के दशक के एक्टर भगवान दादा का, जिन्हें बॉलीवुड का भगवान कहा जाता था. भगवान दादा रातोंरात स्टार बनने वाले एक्टर्स में से एक थे, लेकिन इनका अंत इतना खौफनाक होगा किसी ने सोचा भी नहीं था.
फर्श से अर्श तक का सफर
40 और 50 के दशक में भगवान दादा हिंदी सिनेमा में एक जाना-माना नाम था. वह दर्शकों के चहेते स्टार्स में से एक थे. महाराष्ट्र के अमरावती में पैदा हुए एक्टर कपड़े की फैक्ट्री में काम करने वाले एक मजदूर के बेटे थे. एक्टर ने भी पिता के साथ इस फैक्ट्री में काम किया था, लेकिन उनका सपना एक एक्टर बनने का था. कुश्ती में भी भगवान दादा का बहुत नाम था. फिर फिल्म क्रिमिनल से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया. उन्होंने गूंगी फिल्मों के दौर से सिनेमा में काम करना शुरू किया था. एक दौर ऐसा भी आया, जब उन्होंने फिल्में खुद डायरेक्ट और प्रोड्यूस कीं. साल 1951 में फिल्म अलबेला में खुद एक्टर थे और इसे डायरेक्ट भी किया था. इन्होंने तमिल फिल्में भी बनाई थी.
कैसे आई सड़क पर जिंदगी
सिनेमा में आते ही भगवान दादा के पास बेशुमार दौलत भी आ गई थी, जिसके बाद उन्होंने मुंबई में 25 रूम वाला एक आलीशान बंगला और लग्जरी कार खरीदी थी, लेकिन किशोर कुमार स्टारर फिल्म हंसते रहना बीच में बंद हो गई, तो इसके चलते उन्हें अपनी प्रॉपर्टी बेचनी पड़ गई थी और वह रातों रात कर्ज में डूब गये थे. साल 2002 में 88 साल की उम्र में उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. उनका असली नाम भगवान आबाजी पलव था. उन्हें अलबेला के अलावा फिल्म भागम भाग, जादुई कालीन और छैला बाबू जैसी फिल्मों में देखा गया था.