रायगढ़ : जिले में चल रहे केलों परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि एक निजी कंपनी को आबंटित करने का मुद्दा आज सदन में जोर शोर से उठा। विपक्ष ने इसे बड़ा लैंड स्कैम बताते हुए इसकी जांच विधानसभा की कमेटी से कराने की मांग सरकार से की। इसके लिए विभागीय मंत्री तैयार नहीं हुए। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष के उमेश पटेल ने यह मामला उठाते हुए पूछा कि केलो परियोजना कितना पूरा हुआ है, क्या इसके अधिग्रहित जमीन किसी उद्योगपति को आबंटित कर दी गई है। भू अधिग्रहण प्रभावित कितने लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने बताया कि इस परियोजना का काम 80 प्रतिशत पूरा हो गया है। इस परियोजना से 22 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होना है। मुआवजा के 23 प्रकरण लंबित होने की जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि इनके प्रकरण हाइकोर्ट में लंबित हैं। उन्होंने अधिग्रहीत जमीन निजी उद्योग को आबंटित करने की जानकारी नहीं होने की बातें कही, उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो उसकी जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे।
चर्चा में भाग लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बिना विभागीय मंत्री के अनुमोदन से लैंड यूज बदला नहीं जा सकता। अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन की अफरा तफरी की गई है। जलाशय की जमीन को उद्योगपति को दे दिया गया है । विपक्ष ने इसकी जांच विधानसभा की समिति से कराने की मांग की। सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इस पर विपक्ष के सभी सदस्य खड़े होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही से वॉकआउट कर दिया।