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कैंसर या अन्य गंभीर मर्ज के लिए अब छत्तीसगढ़ से बाहर जाने की जरूरत नहीं,आसान और सफल इलाज यहीं संभव…

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कैंसर या अन्य गंभीर मर्ज के लिए अब छत्तीसगढ़ से बाहर जाने की जरूरत नहीं,आसान और सफल इलाज यहीं संभव…

ट्रांसप्लांट के 95 फ़ीसदी केस हो रहे हैं सफल, अंगदान को लेकर छत्तीसगढ़ में भी आने लगी है जागरूकता..

बिलासपुर। पेनक्रियाज,गाल ब्लैडर कैंसर, लिवर ट्रांसप्लांट का सफल इलाज अब छत्तीसगढ़ में भी आसानी से किए जा रहे हैं। समय के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य की बड़ी-बड़ी सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं। अब किसी भी पेशेंट को छत्तीसगढ़ छोड़कर दूसरे राज्य में जाने की आवश्यकता नहीं है। यहां भी एक से बढ़कर एक बेहतर तकनीक की सुविधा और एक्सपर्ट डॉक्टर इलाज करने लगे हैं, जिसकी वजह से बाहर जाने का खर्चा और परेशानी से लोगों को बचत होने लगी है। बिलासपुर प्रेस क्लब में बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के लिवर ट्रांसप्लांट,कंसल्टेंट सर्जिकल गैस्ट्रोलॉजी हैपेटो बिलयारी और पेनक्रिएटिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत मिश्रा (MS M Ch. SGPGIMS) ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि अब किसी भी तरह के कैंसर जैसे खाने की नली, अमाशय,फैटी लिवर,लिवर ट्रांसप्लांट के लिए छत्तीसगढ़ के नागरिकों को दूसरे राज्यों में जाने की आवश्यकता नहीं है। आधुनिक तकनीक की मशीन और अच्छे डॉक्टर की एक बड़ी संख्या रायपुर में भी मौजूद है,जो इस तरह के गंभीर मरीजों का इलाज आसानी से कर रहे हैं। उन्होंने बताया की जानकारी के अभाव में आज भी लोग दूसरे प्रदेशों में जाकर इलाज कराने की कोशिश करते हैं। जबकि ऐसा करना उनके लिए आर्थिक मानसिक और शारीरिक रूप से कष्ट भरा होता है। अब अपने राज्य में ही एक से बढ़कर एक मर्ज का इलाज आसानी से होने लगा है। श्री मिश्रा ने बताया कि सर्जिकल क्षेत्र में लेप्रोस्कोपी पद्धति से भी बड़े-बड़े इलाज होने लगे हैं। हर तरह की गंभीर बीमारियों के बेहतर इलाज के बारे में अब छत्तीसगढ़ पर लोग भरोसा कर सकते हैं। यहां इलाज कराने से तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट के 35 से अधिक केस सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं जिसके सभी मरीज स्वस्थ हैं। बिलासपुर संभाग के मरीजों के लिए बिलासपुर के रमणीय ट्रीटमेंट सेंटर और मार्क हॉस्पिटल में डॉक्टर अजीत कुमार मिश्रा हर महीने के दूसरे और चौथे बुधवार को उपलब्ध रहते हैं,उनसे मिलकर मर्ज के लिए कंसल्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पेनक्रियाज,गाल ब्लैडर और लीवर के जटिल कैंसर का इलाज दूरबीन पद्धति से यहां किया जा रहा है। लिवर का खर्च भी दूसरे राज्यों से यहां कम आ रहा है। इलाज की पद्धति पर निर्भर करता है कि किस मर्ज में कितना खर्च आएगा। अब लोगों की हैदराबाद और मुंबई दौड़ने की प्रथा पर रोक लगनी चाहिए उन्हें मालूम होना चाहिए कि अब बाहर जाने से परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं होना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कैंसर का प्रमुख कारण जंक फूड, मैदे से बनने वाले व्यंजन, शराब,कोलड्रिंक है जिसे पूरी तरह से लोगों को अपने जीवन से दूर करना चाहिए। लीवर बढ़ने का प्रमुख कारण उन्होंने वजन ज्यादा होना या डायबिटीज से ग्रस्त होना बताया है लीवर की खराबी में 60 फ़ीसदी शराब पीने वाले लोग शामिल होते हैं। स्वस्थ रहने के लिए मुख्य रूप से व्यायाम,खाने में सलाद, घर का बना हुआ खाना और संतुलित आहार किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट उन्हीं मरीजों का किया जाता है जो जीवित रहने की कंडीशन में नहीं होते हैं। ब्लड ग्रुप जांच के बाद परिवार से दिए जाने वाले अंग को ही प्रत्यारोपण किया जाता है। दूसरों से अंग प्राप्त करने की एक विधि है नियमों के तहत उस विधि को पूरी करने के बाद दूसरों के अंग भी ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। इसमें ब्लड ग्रुप मैच करना बहुत अनिवार्य होता है। इसके अलावा अन्य बारीक चीजों को भी समझ कर प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। पिछले 2 साल से छत्तीसगढ़ में भी अंगदान को लेकर लोगों के बीच जागरूकता आई है इससे पहले इस तरह की चीज तमिलनाडु और गुजरात में ही लोगों के बीच व्यापक रूप से थी, लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों ने मान लिया है कि अंगदान करने से दूसरों की जान बचाई जा सकती है इसलिए यहां भी अंगदान किया जाने लगा है। डॉक्टर मिश्रा ने बताया की 95 फीसदी ट्रांसप्लांट के केस सफल हो रहे हैं। उन्होंने आम लोगों से इस मिथक को भी तोड़ने की अपील की जिसमें कहा जाता है कि अंगदान करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में उस अंग के बगैर पैदा होता है, यह पूरी तरह से गलत धारणा है, इससे इंसान को बाहर आना चाहिए।

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