शहर के ठोस कचरों से होगा बायोगैस का उत्पादन, शीघ्र लगेगा संयंत्र
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर।घरो से निकलने वाले कचरे से जल्द ही गाड़ियां चलेगी, वहीँ इसका इस्तेमाल सीएनजी गैस के विकल्प के रूप में भी किया जाएगा। नगर निगम कछार में छह सौ करोड का कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लांट की स्थापना करने जा रहा है। प्लांट से रोजाना 70 मीट्रिक टन बायोगैस का इस्तेमाल होगा। ठोस अपशिष्ट से बायोगैस संयंत्र नगर के अलावा कोरबा, अंबिकापुर, राजनांदगांव, धमतरी और रायगढ़ में भी स्थापित किया जाएगा।स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरों को सुंदर बनाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर राज्य शासन ने गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिडेड के साथ छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। नगर निगम कछार में 10 एकड़ जमीन पर बायो गैस उत्पादन के लिए कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना करेगा। प्लांट से बनने वाली गैस सीएनजी के विकल्प के रूप में सीबीजी को बढ़ावा देगी, जो भविष्य में ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा।
सीएनजी के विकल्प के रूप में सीबीजी
कम्प्रेस्ड बायो गैस को एनारोबिक सड़न प्रक्रिया से कृषि अवशेष, गोबर, गन्ने के अवशेष व शहर के ठोस अपशिष्ट से तैयार किया जाएगा। जो आने वाले वर्षों में सीएनजी का बेहतर विकल्प होगा।
यहां होगा बायोगैस का इस्तेमाल
नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो बायोगैस का उपयोग आटोमोबाइल, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में किया जाएगा। बायोगैस जहां ठोस अपशिष्ठ की समस्या को समाप्त करेगा, वहीं यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर साबित होगा, क्योंकि यह ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने में सहायक साबित होगा।
पर्यावरण संरक्षण के साथ रोजगार को बढ़ावा
सीबीजी संयंत्र स्थापित होने के बाद पर्यावरण को भी बड़ा फायदा होगा। अपशिष्ट के प्रबंधन से न केवल ठोस अपशिष्ट की समस्या हल होगी। ठोस अपशिष्ट के बचे अवशेष को जैविक खाद में बदला जाएगा, जिससे जैविक खेती को भी प्रोत्साहन मिलेगा। संयंत्र स्थापित होने के बाद स्थानीय युवाओं को प्रतिवर्ष लगभग दो लाख मानव दिवस रोजगार सृजित कर रोजगार भी प्रदान करेगा।