सीपत क्षेत्र के निवासी दूषित पानी, प्रदूषण और राखड़ की समस्या से जूझ रहे,एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ किया ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। तकरीबन चौबीस साल पहले एनटीपीसी सीपत प्लांट की स्थापना के समय क्षेत्र के लोगों ने आशा की थी कि उनके जीवन में बदलाव आएगा। रोजगार के अवसर मिलेंगे और सुविधाओं का स्तर बेहतर होगा। लेकिन चौबीस साल बाद स्थिति एकदम उलट है। एनटीपीसी प्लांट के आसपास बसे प्रभावित गांवों के लोग रोजगार और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। भूजल हो गया है पूरी तरह प्रदूषित वहीं वातावरण और पर्यावरण भी हो गया प्रदूषित। इसी समस्या को लेकर गत 9 दिसंबर 2024 सोमवार को एनटीपीसी सीपत के प्रभावित ग्राम राख के निवासियों ने एनटीपीसी के एचआर गेट के सामने धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी दूषित जल को बाल्टियों में लेकर पहुंचे और प्लांट प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।ग्रामीणों का आरोप है कि जिस पानी का उपयोग एनटीपीसी के अधिकारी नहीं करते, वही पानी उन्हें पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि दूषित पानी की समस्या पिछले कई वर्षों से बनी हुई है, जिसके चलते बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। एक साल पहले भी जनसुनवाई के दौरान इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। ग्राम राख के सरपंच प्रतिनिधि विक्रम प्रताप सिंह ने बताया कि एनटीपीसी प्लांट के कारण गांव का हर हिस्सा राखड़ से ढका हुआ है। राखड़ डैम के कारण घरों, खाने-पीने के सामान और यहां तक कि फसलों तक राख जम रही है।प्रदूषण के चलते ग्रामीणों को सांस संबंधी बीमारियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या की शिकायत कई बार प्रशासन से की गई, लेकिन निरीक्षण करने तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचे। जब ग्रामीण एनटीपीसी प्रबंधन से शिकायत करने जाते हैं, तो सीआईएसएफ के जवान उन्हें प्रबंधन से मिलने तक नहीं देते।धरना प्रदर्शन के बाद एनटीपीसी प्रबंधन ने केवल सात ग्रामीणों को सम्मेलन कक्ष में बुलाया। सरपंच प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की ओर से मांगे रखी कि प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए, सभी घरों में पाइपलाइन से शुद्ध जल की आपूर्ति की जाए, राखड़ डैम के कारण हो रहे रिसाव से घरों की मरम्मत कर पक्की छत बनाई जाए, दर्रीपारा और ठाकुरदेवपारा में सीसी रोड का निर्माण हो, प्रत्येक माह ग्रामीणों को गुड़ का वितरण किया जाए और गांव में जिम खोला जाए। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि इन मांगों को एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए, अन्यथा वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। एनटीपीसी सीपत प्लांट की स्थापना के बाद लोगों को रोजगार और जीवन स्तर सुधारने की उम्मीद थी, लेकिन वर्तमान हालात इसके विपरीत हैं। अब ग्रामीण अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन का सहारा ले रहे हैं। देखना होगा कि प्रबंधन इन समस्याओं का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाता है।