जर्मन के लोग संस्कृत को अपना रहे हैं लेकिन भारत में यह विलुप्ति के कगार पर है -पूर्व राज्यपाल रमेश बैस
रायपुर।पूर्व राज्यपाल रमेश बैस श्री दूधाधारी मठ संस्कृत पाठशाला द्वारा आयोजित श्री गीता महोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए, अध्यक्षता डॉक्टर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने की। यहां पहुंचकर उन्होंने सबसे पहले श्रीमद् भागवत गीता की पूजा अर्चना की कार्यक्रम अध्यक्ष एवं मठ ट्रस्ट कमेटी के सदस्यों के द्वारा पूर्व महामहिम जी का स्वागत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अभ्यागत ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि -सनातन धर्म में चार वर्ण बताये गये हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र इन चारों के कार्यों में परिवर्तन आया है। जर्मनी में लोग संस्कृत को अपना रहे हैं लेकिन भारत में यह विलुप्त के कगार पर है। बी आर चोपड़ा और रामानंद सागर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने रामायण और महाभारत को टीवी सीरियल के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। भागवत को कहने और सुनने से ज्यादा आवश्यकता है उसको आत्मसात् करना चाहिए। पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और कहा कि उनकी रक्षा के लिए हमें आगे आना होगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष राजेश्री महन्त जी ने कहा कि- आज मोक्षदा एकादशी है इसे गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। द्वापर में महाभारत के युद्ध को भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी रोकना चाहते थे लेकिन होनी को कोई टाल नहीं सकता। भगवान ने अर्जुन को मध्य मानकर गीता का उपदेश दिया। लोगों को संस्कृत बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने भी संबोधित किया। स्वागत भाषण ट्रस्ट कमेटी के सदस्य विजय पाली ने प्रस्तुत की तथा अजय तिवारी ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन तोयनिधि वैष्णव ने किया। उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व मुख्य अतिथि ने श्री दूधाधारी मठ पहुंचकर दर्शन पूजन किया। इस अवसर पर विशेष रूप से रामकिशोर मिश्रा, महेंद्र अग्रवाल, विनोद मंगल अग्रवाल ,राजेश अग्रवाल, सुखराम दास, राहुल उपाध्याय, पार्षद मनोज वर्मा, पार्षद सरिता वर्मा, पूर्व पार्षद नरेंद्र यादव तथा राम तिलक दास जी, मुख्तियार राम छवि दास, उपेंद्र कश्यप, अनिल बरोड़िया ,टाटीबंध संस्कृत आश्रम, बोरिया कला संस्कृति आश्रम के छात्र गण, महिला मंडल के सदस्य गण, एवं मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।