कैम्पा मद से निर्मित स्टापडेम चढ़ा भ्रष्ट्राचार की भेंट
लाखों की लागत से वन विभाग ने नरवा विकास योजना से बनाया था स्टापडेम
(दिलीप पाण्डेय)
कोरिया वॉच ब्यूरो/ मनेंद्रगढ़ वनमंडल के कुंवारपुर वनपरिक्षेत्र में फुलझर नाले में लाखों की लागत से स्टॉप डेम का निर्माण कांग्रेस शासन काल मे नरवा विकास योजना के तहत कैम्पा मद से कराया गया है । लेकिन स्टॉप डेम को बनाने में गुणवत्ता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया ।लिहाजा ये स्टॉप डैम आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है इस वर्ष जिले में जो बारिश हुई है उसमें पानी तो रूका नही बल्कि हुई बारिश में ही स्टॉप डैम की पोल खुल गई ।ये डैम बीच से से टूटकर क्षतिग्रस्त हो चुका है वही जिम्मेदार अब उसे कुदरत का कहर कह कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे ।
विदित हैं कि वन मंडल मनेन्द्रगढ़ के कुवारपुर का नया कारनामा सामने आया हैं जहा फुलझर नाले में लाखो रुपए की लागत से बन रहे स्टॉपडेम में वन संपदा का उपयोग कर क्रेशर बिल लगाकर राशि निकालने की भी सुगबुगाहट है जिससे कहि न कहीं वन संपदा का उपयोग कर शासकीय राशि से जमकर भ्रष्टाचार किया गया है ! वही स्टॉप डेम में जंगल के पत्थरो का अवैध रूप से उपयोग किया गया स्टॉप डेम के निर्माण में जंगल के पत्थरो का पूर्ण रूप से उपयोग कर पर्यावरण को जमकर क्षति पहुंचाई गई है जिससे टूटे स्टॉप डेम की गडवत्ता को लेकर सवाल उठना लाजमी हैं ! जब कि संयुक्त कोरिया जिले के दौरान इसी तकनीक से बनाये गए उद्यान के स्टॉप डेम में दरार आने से टूट भी चुका है फिर भी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कागजो में क्रेशर बिल लगाकर वन संपदा के उपयोग से अपना मोह नही छोड़ रहे ! शासन के नियमो को दरकिनार कर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य मे जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है वही शासकीय रिकार्ड में क्रेशर बिल लगाकर शासन को भी गुमराह किया जा रहा जब कि विभाग द्वारा खनिज व राजस्व विभाग को बिना रॉयल्टी भरे अवैध तरीको से चट्टानों को काटकर स्टॉप डेम में लगाया गया है ।
एक ओर शासन द्वारा विकास की गंगा बहाने के लिए कई योजना के माध्यम से ग्रामीणों व पशु पक्षियों की जीवन रक्षा के लिए करोड़ों की राशि स्वीकृत कर निर्माण कार्य कराया जाता है। दूसरी ओर निर्माण कार्य में गुणवत्ता का अभाव कई सवाल खड़े करता है। स्टाप डैम के निर्माण में एस्टीमेट के आधार पर पूर्ण कांक्रीटीकारण किया जाना है, लेकिन जंगल का भरपूर फायदा उठाकर पहाड़ी पत्थर से जिम्मेदार निर्माण करवा रहे हैं, अक्सर जंगल का नाम सुनकर लोग डरते हैं और इसे देखने वाला कोई नहीं हैं। इस संबंध में संबंधित डिप्टी रेंजर से पूछे जाने पर उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारे हाथों में कुछ नहीं है। सब उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्य कराया गया था अब टूट चुका है तो इसकी जानकारी भी दिया गया हैं ।
बहरहाल इस डैम का दीवॉल कभी भी टूटने के कगार पर है ।आपको बता दें कि शासन जल संरक्षण करने के लिए स्टॉप डेम का निर्माण करवाता है। उलट भ्रष्टाचार के ऐसे स्टॉप डेम में जल संरक्षित नहीं हो पाएगा । शासन के जल संरक्षण का दावा पूरी तरह खोखला नजर आ रहा है ।स्टॉप डेम बनकर पूरा हो गया है ,लेकिन आज तक सूचना बोर्ड में ना राशि अंकित की गई , ना ही कोई सूचना लिखा गया है।