नवरात्रि पर्व पर विशेष-
शीतला माता मंदिर , जहाँ नव विवाहित जोड़ा पहुंचता है माता का आशिर्वाद लेने
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। वर्षों से क्षेत्र के सभी नव विवाहित जोड़ा, जब विवाह पश्चात बारात लेकर लौटते है, तो सर्वप्रथम गृह प्रवेश से पूर्व माता शीतला की अनुमति एवं आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में पहुंचता है।जहां वर वधु दोनों मां शीतला का यथोचित पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करके ही नव विवाहित जोड़ा अपने घर में प्रवेश करते हैं। इस परंपरा का आस्था पूर्वक जूना बिलासपुर के लगभग सभी हिंदू घरों में निर्वहित किया जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है की मां शीतला का आशीर्वाद मिल जाने के पश्चात ही गृह प्रवेश करने पर नवविवाहित जोड़ों का वैवाहिक जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण व्यतीत होता है। शीतला माता का इस मंदिर का इतिहास बुजुर्गों के बताएं अनुसार करीब सत्तर वर्ष पुराना है। इस मंदिर की स्थापना का विचार सर्वप्रथम क्षेत्र के पूर्व पार्षद रहे स्वर्गीय मेटरू लाल यादव ,स्व गरीबदास मानिकपुरी व उनके अन्य साथी गणों के मन में आया। इन सभी लोगों का यह विचार था की कलकल बहती मां अरपा के तट किनारे हरियाली व शीतल हवा के झोंके चलते रहें माँ शीतल यहां स्थापित होकर अपनी कृपा हम सब पर बनाए रखें , और यही कारण है कि मां शीतला के प्रतीक स्वरूप इस स्थान पर एक नीम के वृक्ष का रोपण किया गया व मां शीतला के मंदिर की स्थापना की गई। इस अवसर पर बजरंगबली की भी मूर्ति स्थापित की गई है। बजरंगबली के प्रकाट्य उत्सव पर यहां का माहौल पूर्ण रूप से भक्तिमय रहता है। इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम और बजरंगबली की पूजा उपासना अर्चना की जाती है।इस मंदिर की यह विशेषता है कि पूरे जूना बिलासपुर के क्षेत्र में एक केवल एक ही यही शीतला मंदिर स्थापित है। जहां नित्य पूजा पाठ पूजा अर्चना की जाती है । आसपास के श्रद्धालु जन यहां हमेशा अपनी मन्नत मांगने के लिए पहुंचते रहते हैं एवं माता का दर्शन करके कृतार्थ होते हैं। इस मंदिर की देखरेख एवं व्यवस्थापन की जिम्मेदारी शुरू में गरीब दास मानिकपुरी द्वारा वर्षों तक किया जाता रहा ,वहीं मंदिर की व्यवस्था सुचारू रूप से चले इस हेतु मटरू यादव द्वारा सभी क्षेत्रीय निवासियों के सहयोग से आर्थिक सहयोग लेकर मंदिर के सभी कार्य निपटाए जाते थे। अभी वर्तमान में पिछले कई वर्षों से इस मंदिर की सारी व्यवस्था एवं देखरेख पूजा पाठ एवं पर्व आदि पर सारे इंतजाम स्वर्गीय गरीब दास मानिकपुरी के सुपुत्र गोवर्धन दास मानिकपुरी द्वारा किया जा रहा है। ज्ञात हो की गोवर्धन दास जी भजन कीर्तन, फाग गीतों सहित संगीत के क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखते हैं माता के दरबार में व अन्य संगीत कार्यक्रमों में इनको ससम्मान पूर्वक आमंत्रित किया जाता रहा है। इन्होंने कई बड़े-बड़े शहरों में अपनी संगीत कला का बखूबी प्रदर्शन किया है। अब यह पूर्ण रूप से माँ की भक्ति और सेवा कार्य में तल्लीन रहते हैं। गोवर्धन दास मानिकपुरी जी ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना के साथ-साथ श्री अंबे लहरी अखाड़े की भी स्थापना मंदिर के बगल में ही की गई है, जहां युवक गण कसरत करते हैं, और कई अखाड़ों में जाकर प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। उन्होंने आगे बताया की नवरात्रि पर्व चल रहा है अतः यहां मंदिर में जवारा घट स्थापित किया गया है। इस अवसर पर पूरे नौ दिन भजन कीर्तन का आयोजन होता रहेगा। वहीं कन्या भोज कराया जाएगा ,साथ ही पर्व के अंतिम दिवस यानी नवमी को भोग भंडारा का भव्य आयोजन भी किया जाता है । अंत में पूरे विधि विधान से क्षेत्र की महिलाओं व संगीत पार्टी के साथ भजन कीर्तन करते हुए जवारा का विसर्जन किया जाता है।