प्रदेश की राजनीति में कबीरधाम यानी कवर्धा जिला हमेशा से सुर्खियों में रहा है। पूर्व सीएम और स्पीकर डॉ रमन सिंह व डिप्टी सीएम विजय शर्मा यहां के हैं, तो दिग्गज नेता मोहम्मद अकबर विपरीत परिस्थितियों में भी यहां से चुनाव जीतते रहे हैं। मगर पिछले दो साल से यहां लगातार घटनाएं-दुर्घटनाएं हो रही है। कबीर का संदेश देने वाले कबीरधाम में सांप्रदायिकता,जातिवाद और गुटीय राजनीति तेज हो गई है।
पूर्व मंत्री मो.अकबर चुनाव तो हार गए लेकिन वो शिक्षक के खुदकुशी प्रकरण में घिरे हैं। चर्चा है कि अकबर ने कवर्धा से चुनाव नहीं लड़ने संदेश दिग्गजों तक पहुंचा दिया है। बावजूद इसके उनकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है।
यद्यपि वे कवर्धा की राजनीति से अपने आपको अलग रखा है। ऐसा कहा जा रहा है कि आगामी दिनों होने वाले परिसीमन के बाद नई सीट की तलाश करेंगे।
हालांकि साय सरकार में उनके चाहने वालों कमी नहीं है। पहले उनके भाई मो.असगर के ठेके को लेकर भारी हंगामा मचा था वो विवाद सुलझ गया है।
साय सरकार ने करीब 30 करोड़ से अधिक राशि जारी कर मामले का पटाक्षेप कर दिया है और काम भी मिलने शुरू हो गए हैं। चर्चा तो यह भी है कि इसमें रमन सरकार के समय के ताकतवर लोगों ने अहम भूमिका निभाई है।
भाजपा ने विजय शर्मा की सक्रियता और व्यवहार के चलते डिप्टी सीएम का पद देकर कद को बढ़ा दिया है,लेकिन कवर्धा के हालात उनके खिलाफ होते जा रहा है। कवर्धा भाजपा चार गुटों में बंट गयी है। पड़ोस के विधायक ने डिप्टी सीएम के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है।
अफसरशाही का हाल यह है कि कांग्रेस शासनकाल के समय से कलेक्टर एसपी अभी और कुछ दिन कवर्धा में रहते लेकिन इस घटना के चलते निपट गये। इसमें कलेक्टर को सम्मानजनक पद मिल गया लेकिन रील मास्टर कहे जाने वाले आईपीएस अफसर को एक रील भारी पड़ गया। बिरनपुर में जिस तरह साहू समाज को साधकर भाजपा ने कवर्धा और बेमेतरा जिले की सारी सीटें पाने में सफलता पायी है, इलाके में फिर वही स्थिति बनते हुए दिख रही है।
पीएचक्यू में खाली बैठे अफसर
प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद पुलिस मुख्यालय में आईपीएस अफसरों की भीड़ बढ़ गई है, वहां बैठने के लिए कमरे नहीं है। पीएचक्यू में फेरबदल का इंतजार सभी को है। सीनियर अफसर दीपांशु काबरा, आनंद छाबड़ा, अजय यादव, ओपी पाल, प्रशांत अग्रवाल, अभिषेक मीणा, निलंबित सदानंद कुमार, पारेल माथुर, अभिषेक पल्लव सहित कई अफसर बिना काम के वेतन ले रहे हैं।
रायपुर ,दुर्ग रेंज में आईजी पद का इंतजार हो रहा है। रायपुर आईजी डबल चार्ज में है। बस्तर आईजी नक्सली अभियान के बीच एनआईए जाना चाहते हैं दिल्ली के आदेश के इंतजार में है।
पुलिस प्रशासन के स्थिति खराब हो रही है। चर्चा है कि कई योग्य अफसरों का उपयोग किया जा सकता है।
निगम मंडल में नियुक्ति से झटका
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने निगम मंडलों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे कतार में खड़े एक दर्जन से अधिक भाजपाईयों के चेहरे में खुशी दिख रही है।
जिन लोगों की नियुक्ति की गयी है वे सभी मंत्री व संसदीय सचिव के कतार में शामिल थे। जाति समीकरण को देखते हुए बहुसंख्यक अनुसूचित जाति,जनजाति और पिछड़े वर्ग के विधायकों को तवज्जो दी है। पुराने दिग्गज नेताओं को सरकार ने शामिल नहीं करने की खबरें आ रही है।अब इन नेताओं ने दबाव बनाया है। देखना है कि कितनी सफलता मिलती है।
विवादित कार्यकाल की नियुक्तियां शुरू
छत्तीसगढ़ पीएससी परीक्षा 2022-23 व 2024 के परीक्षा परिणाम के बाद धांधली को लेकर भारी हंगामा मचा। पीएससी के चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी पर भ्रष्टाचार के भारी आरोप लगे। भूपेश सरकार युवाओं के नाराजगी के चलते निपट गयी। कई मामले कोर्ट में चले गये हैं जिसमें फैसला आने में दशकों लगेंगे लेकिन उसके पहले विवादित कार्यकाल के समय चयनित लोगों को पदस्थापना आदेश जारी हो गया। कई लोगों ने पदभार ग्रहण कर लिया। मामले की सीबीआई जांच चल रही है। इसके रिजल्ट संभावना नहीं के बराबर है।
तहसीलदारों की सूची पर विवाद
राजस्व विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर वसूली के आरोप लग रहे हैं। चर्चा है कि तहसीलदारों के ट्रांसफर को लेकर भाजपा के कुछ विधायक भी ख़फ़ा हैं।
बताते हैं कि विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा सूची जारी होने के ठीक पहले हरियाणा चले गए थे। उनके हफ्ते भर बाद लौटने का कार्यक्रम था लेकिन वो तीन दिन पहले लौट आए और बंगले में ही थे लेकिन मेल मुलाकात करने आए लोगों को यह कहकर लौटा दिया जाता रहा कि वो प्रदेश से बाहर हैं। पहले खबर आई कि सूची निरस्त होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है अलबत्ता आधा दर्जन अफसरों का आदेश संशोधित किया जा सकता है।
मूणत पर भारी पड़े बसंत
गणेश विसर्जन पहले झांकी के स्वागत पंडाल के लिए भाजपा दिग्गजों में होड़ मची रही। जयस्तंभ चौक पर पूर्व मंत्री राजेश मूणत का पंडाल लगना था लेकिन यह जगह चर्चित नेता बसंत अग्रवाल को आबंटित कर दिया।
बताते हैं कि नाराज होकर राजेश मूणत ने इस बार स्वागत पंडाल ही नहीं लगवाया। मगर बसंत अग्रवाल अग्रवाल ने जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया। कुल मिलाकर बसंत अग्रवाल भारी पड़ गए।
कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में बेहतर रिपोर्ट, फिर क्यों हटायें गये जगदलपुर कलेक्टर ?
जगदलपुर कलेक्टर को हटाने के पीछे के कारणों पर प्रशासनिक हलकों में चर्चा हो रही है। कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में उनकी रिपोर्ट को कईजिलों से बेहतर बताया गया था, जिसमें जिले के कामकाज और ओझाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी।
फिर भी उन्हें हटा दिया गया, जिससे सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे राजनीतिक या अन्य कारण थे। इस मामले में स्पष्टता कीकमी है। कलेक्टर की रिपोर्ट को कई जिलों से बेहतर बताया जाना इस बात को दर्शाता है कि उनका काम सराहनीय था, लेकिन फिरभी उन्हें हटाया गया। यह प्रशासनिक निर्णय कई सवाल खड़े करता है।
इस मामले में प्रशासनिक हलकों में चर्चा हो रही है और लोगों में असमंजस है कि आखिर क्यों जगदलपुर कलेक्टर को हटाया गया।
अरबों की डील
राजधानी में मुंबई के प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट बिल्डर की खामोशी से अरबों की डील के साथ एंट्री हुई है। बिल्डर ने वीआईपी रोड पर एयरपोर्ट के पास क़रीब डेढ़ सौ एकड़ ज़मीन ख़रीद का सौदा फ़ाइनल किया है। सौदे की रक़म पाँच सौ करोड़ से ज़्यादा बताई जाती है। ज़मीन का यह चक कई हाथों से गुजरने के बाद लोहे के कारोबार से जुड़े औद्योगिक घराने और एक अख़बार समूह के पास साझेदारी में था। अब मुंबई के बिल्डर के आने से माना जा रहा है कि इस इलाक़े में शानदार आवासीय कॉलोनी बनेगी। मुंबई में बिल्डर के काफ़ी प्रोजेक्ट है और सबसे ज़्यादा ज़मीन भी। मुंबई वालों के लिए इस क़ीमत पर इतनी बड़ी ज़मीन एकसाथ मिलना किसी लाटरी लगने से कम नहीं है।