गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले प्रतापपुर के बंगाली डॉक्टर नहीं रहे
शहादत हुसैन की रिपोर्ट
प्रतापपुर के जाने-माने सुप्रसिद्ध व गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले बंगाली डॉक्टर का लंबी बीमारी के दौरान एक निजी अस्पताल में निधन हो गया,जैसे ही यह खबर प्रतापपुर के लोगों तक पहुंची सभी लोगों में शोक की लहर दौड़ गई,
प्रतापपुर क्षेत्र में बंगाली डॉक्टर का नाम ही काफी था प्रतापपुर के अलावा दूर-दूर के लोग यहां इलाज कराने आते थे, छोटी मोटी बीमारियों का इलाज निशुल्क ही कर देते थे, तथा जांच करने का भी कोई शुल्क नहीं लेते थे,
जब कहीं से लोग प्रतापपुर में बीमारी का इलाज
कराने आते तो सबसे पहले उनके जुबान पर बंगाली डॉक्टर का ही नाम होता था,
जांच के नाम पर कोई शुल्क न लेना व छोटी-मोटी बीमारियों का निशुल्क इलाज कर देना , व अपने पास से चार खुराक दवाई फ्री में ही दे देना लोगो को अब बहुत याद आता है,
लोगों के बीच सेवा भावना
इनकी पहली प्राथमिकता थी,
और कम, से कम, दवाई में ही बीमारी ठीक करने की उनकी अदा के सब कायल थे।
क्षेत्र के सभी लोग इनको अपना पारिवारिक डॉक्टर मानते थे और ये भी सभी को अपना परिवार मानते थे,
कई बार तो लोगों के इलाज के दौरान घर जाने के लिए किराया कम पड़ जाता था तो डॉक्टर साहब अपने जेब से उनको किराया तक दे देते थे, उनकी तारीफ में जितना लिखें कम ही है ,यूं ही नहीं लोग उनको डॉक्टर के नाम पर एक मसीहा मानते थे,
अपने पीछे भरा परिवार छोड़ गए।
बाकी नदी के तट पर मुक्ति धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया,उनके बेटे तरुण भौमिक ने उनको मुखाग्नि दी।
तथा काफी लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में सामिल होकर नम आंखों से विदाई दी।